
मद्रास हाई कोर्ट ने राजीव गांधी की हत्या के मामले की दोषी नलिनी श्रीहरन की समय पूर्व रिहाई संबंधी याचिका पर सुनवाई करने से बुधवार को इनकार कर दिया.
कोर्ट कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक संबंधित मामला लंबित होने के मद्देनजर उसकी याचिका पर सुनवाई नहीं कर सकता.
न्यायमूर्ति एम सत्यनारायण ने यह स्पष्ट किया कि आजीवन कारावास की सजा भुगत रही नलिनी के आग्रह पर तब तक विचार नहीं किया जा सकता, जब तक सुप्रीम कोर्ट के समक्ष मौजूद मामले पर फैसला नहीं हो जाता.
नलिनी ने याचिका में तमिलनाडु सरकार को संविधान के अनुच्छेद 161 के तहत समय पूर्व रिहाई की उसकी याचिका पर विचार करने का निर्देश दिए जाने का अनुरोध किया है. न्यायाधीश ने साथ ही कहा कि कोर्ट राज्यपाल को यह निर्देश नहीं दे सकती कि वह किसी विशेष तरीके से अपने संवैधानिक काम करें.
कोर्ट ने कहा, ‘‘सीबीआई के नौ जुलाई, 2014 के आदेश के साथ..साथ इस तथ्य के मद्देनजर कि (इस मामले की) जांच सीबीआई कर रही है, यह कोर्ट याचिकाकर्ता के अभिवेदन पर विचार करने के लिए राज्य सरकार को फिलहाल निर्देश नहीं दे सकती. कोर्ट की सुविचारित राय के अनुसार जब तक सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित रिट याचिका पर फैसला नहीं हो जाता, तब तक याचिकाकर्ता के अनुरोध पर विचार नहीं किया जा सकता.’’
न्यायमूर्ति सत्यनारायण ने याचिका का निपटारा कर दिया और राज्य के गृह सचिव को लंबित मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के परिणाम के आधार पर, कानून के अनुसार याचिकाकर्ता के अभिवेदन पर विचार करने की स्वतंत्रता दी. संविधान के अनुच्छेद 161 के तहत समय पूर्व रिहाई का आग्रह करते हुए नलिनी ने कहा था कि वह जेल में 25 साल गुजार चुकी है, जबकि समय पूर्व रिहाई के लिए कानूनी जरूरत केवल 20 साल की है.