सर्जिकल स्‍ट्राइक का तो समर्थन, पर इसके ”प्रचार” को लेकर अब घिरने लगी मोदी सरकार!

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    उरी हमले के बाद पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में सर्जिकल स्ट्राइक करके कई आंतकियों को मार गिराने के लिए काफी तारीफ बटोर चुकी नरेंद्र मोदी सरकार अब आलोचनाओं में घिरती नजर आ रही है। 17 सितंबर को हुए उरी हमले में 19 भारतीय जवान मारे गए थे। मोदी सरकार पर सर्जिकल स्ट्राइक का “प्रचार” करके सियासी लाभ लेने की कोशिश करने का आरोप लगाया जा रहा है। पूर्व गृह मंत्री पी चिंदबरम और कांग्रेसी नेता संदीप दीक्षित ने सार्वजनिक तौर पर कहा है कि भारत पहले भी ऐसी सर्जिकल स्ट्राइक करता रहा है लेकिन कूटनीतिक चिंताओं के चलते इसका “प्रचार” नहीं किया जाता था। सेना के कुछ पूर्व अधिकारियों और कुछ सुरक्षा विशेषज्ञों ने भी मोदी सरकार के सर्जिकल स्ट्राइक के “प्रचार” पर सवाल उठाया है। भारतीय सेना के अनुसार 28-29 सितंबर की रात को उसके पैरा फोर्सेज के कमाडों ने इस सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया था।
      पी चिंदबरम ने एक अखबार को दिए इंटरव्यू में कहा कि भारत ने 2013 में एक बहुत बड़ी सर्जिकल स्ट्राइक की थी। चिदंबरम ने बताया कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने रणनीतिक गतिरोधों को ध्यान में रखते हुए इसकी जानकारी सार्वजनिक नहीं करने का फैसला किया था। चिदंबरम ने सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर किसी भी तरह का अपरिपक्व फैसला लेने से बचने की भी सलाह दी।
       कांग्रेसी नेता संदीप दीक्षित ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और उनके पूर्व मंत्रियों को लिखे एक खुले पत्र में भी ऐसे ही सवाल उठाए हैं। दीक्षित ने अपने पत्र में संकेत किया है कि कांग्रेस सरकार के 10 साल के शासन में भारत ने कई सर्जिकल स्ट्राइक की लेकिन उन्होंने उनका ऐसा प्रचार नहीं किया है। दीक्षित ने लिखा है, “आपके प्रधानमंत्री काल में भी कई मौकों पर ऐसी कार्रवाई की बातें मैंने सुनी थीं। 2007, 2009, मुंबई हमले के बाद, 2011 में, जनवरी 2013 और 2014 की शुरुआत में और कई बार।”
       भारतीय सेना के कई पूर्व अधिकारियों ने भी कहा है कि सेना द्वारा सीमा नियंत्रण रेखा के पार जाकर सर्जिकल स्ट्राइक करना नई बात नहीं है। भारतीय वायु सेना के पूर्व एयर वाइस मार्शल मनमोहन बहादुर ने एक लेख में जुलाई 10981 में भारतीय सेना द्वारा किए गए सर्जिकल स्ट्राइक का विस्तृत ब्योरा दिया है। रणीनीतिक मामलों के कई जानकारों ने भी सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर ऐसे ही सवाल उठाए हैं। टिप्पणीकार प्रताप भानू मेहता ने अपने हालिया लेख में लिखा है, “ऐसा ऑपरेशन पहली बार नहीं हुआ है। लेकिन भारत की नीयत और निश्चय दर्शान के लिए ऑपरेशन का इस्तेमाल नया है।”
      सोशल मीडिया पर भी कुछ लोग नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा सर्जिकल स्ट्राइक का “इस्तेमाल” करने को लेकर तंज कस रहे हैं। जॉय नामक यूज़र ने लिखा है, “पुराने सुनहरे दिन जब सर्जिकल स्ट्राइक के बाद कभी पीआर कैंपेन नहीं होते थे। बहादुर जवानों ने अपना काम किया। सरकार ने तब इसका श्रेय नहीं लूटा।”

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