केजरीवाल ने राजस्थान में गुजरात की तरह चुनाव लड़ा तो कांग्रेस को उठाना पड़ेगा खामियाजा
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केजरीवाल ने राजस्थान में गुजरात की तरह चुनाव लड़ा तो कांग्रेस को उठाना पड़ेगा खामियाजा

अशोक गहलोत और रघु शर्मा गुजरात की हार के लिए आम आदमी पार्टी को ही जिम्मेदार मानते हैं
  जयपुर/राजस्थान।। 11 मार्च को भी राजस्थान के प्रमुख समाचार पत्रों के प्रथम पृष्ठ पर पंजाब सरकार का विज्ञापन प्रकाशित हुआ है। पंजाब में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी का शासन है। इस विज्ञापन में बताया गया है कि बिजली पर किसानों और घरेलू उपभोक्ताओं को कितनी सब्सिडी दी जा रही है। साथ ही पंजाब सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के बारे में बताया गया है। स्वाभाविक है कि यह विज्ञापन नवंबर में होने वाले राजस्थान विधानसभा चुनाव के मद्देनजर दिया गया है। जिस तरह अखबारों में पंजाब सरकार के विज्ञापन दिए जा रहे हैं, उसमें साफ जाहिर है कि केजरीवाल की पार्टी राजस्थान में पूरे दमखम के साथ चुनाव लड़ेगी। यदि आप गुजरात की तरह राजस्थान में चुनाव लड़ती है तो कांग्रेस को भारी नुकसान होगा। 
  गुजरात के पर्यवेक्षक अशोक गहलोत और प्रभारी रघु शर्मा ने पहले ही स्वीकार किया है कि कांग्रेस की हार के लिए केजरीवाल की पार्टी जिम्मेदार हैं। मालूम हो कि गुजरात में 182 में से कांग्रेस को मात्र 19 सीटें मिली हैं। गुजरात में भले ही केजरीवाल को कोई सफलता नहीं मिली हो, लेकिन उनकी पार्टी के उम्मीदवार कांग्रेस की हार का कारण बने। जानकार सूत्रों के अनुसार केजरीवाल कांग्रेस के परंपरागत मुस्लिम वोटों में सेंध लगाने में सफल रहे। राजस्थान में यदि ऐसी परिस्थितियां बनती है तो भाजपा को राजनीतिक फायदा होगा। इसमें कोई दो राय नहीं कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने किसानों को दो हजार और घरेलू उपभोक्ताओं को 100 यूनिट बिजली फ्री, चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना में 25 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज, सेवानिवृत्त कार्मिकों को ओपीएस देने जैसी घोषणाएं कर आम लोगों को लुभाने का कार्य किया है। लेकिन यदि राजस्थान में केजरीवाल की पार्टी दमखम के साथ चुनाव लड़ती है तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की कल्याणकारी योजनाओं पर पानी फिर सकता है। यह सही है कि राजस्थान में सीएम अशोक गहलोत ही कांग्रेस का सबसे बड़ा चेहरा है। गहलोत ने इस बात की पूरी कोशिश की है कि सरकार को किसी भी तरह रिपीट किया जाए। लेकिन कांग्रेस के लिए सचिन पायलट का फेक्टर भी अभी मुसीबत बना हुआ है। आगामी चुनाव को लेकर गहलोत और पायलट गुट में अभी तक भी तालमेल नहीं हुआ है।

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