हाईकोर्ट ने नहीं दी राहत, फोर्टिस को भरना होगा 105 करोड़ का जुर्माना

   नई दिल्ली।। 105 करोड़ रुपये जुर्माना मामले में फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट को हाईकोर्ट से कोई भी राहत नहीं मिली। आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के मरीजों को निशुल्क इलाज न देने पर दिल्ली सरकार ने उस पर जुर्माना लगाया है।
    अदालत ने स्पष्ट कर दिया कि बिना सरकार का पक्ष सुने निर्णय पर रोक नहीं लगा सकते। अदालत ने अस्पताल प्रशासन को तुरंत प्रभाव से जुर्माने की राशि जमा करवाने का निर्देश दिया है।
     न्यायमूर्ति संजीव सचदेव ने अस्पताल प्रशासन को कहा कि यदि वे मामले में सुनवाई चाहते हैं तो तुरंत तदर्थ आधार पर 105 करोड़ रुपये जमा करवा दें। यदि आप का तर्क ठीक है तो आपको राशि वापस भी मिल सकती है। वे बिना सरकार का पक्ष सुने उनके फैसले पर एकतरफा स्थगन आदेश नहीं दे सकते।
105 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया
    अदालत ने कहा कि यदि आप स्थगन आदेश पर जोर देते हैं तो जुर्माने की राशि भरनी ही होगी, वरना सरकार का निर्णय कायम रहेगा। साथ ही अदालत ने इस मुद्दे पर दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर अपना पक्ष 19 जुलाई तक रखने का निर्देश दिया है।
   अदालत ने सरकार को वे दस्तावेज पेश करने का निर्देश दिया है, जिसके आधार पर 105 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है। दूसरी ओर अस्पताल प्रशासन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने तर्क रखा।
    उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग ने उनके मुवक्किल को अपना पक्ष रखने के लिए उचित मौका प्रदान नहीं किया। इसके अलावा यह भी नहीं बताया गया कि 105 करोड़ रुपये का आंकड़ा किस प्रकार आया है। हालांकि, अदालत के रवैये को देख उन्होंने कहा कि यदि अदालत मामले में स्थगन आदेश देने के लिए इच्छुक नहीं है तो वे कल तक राशि जमा करवा देंगे।
चार और अस्पतालों पर भी लगा है जुर्माना
     दिल्ली सरकार ने गरीब मरीजों को निशुल्क इलाज देने से मना करने पर चार अन्य निजी अस्पतालों मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल (साकेत), धर्मशिला कैंसर अस्पताल, शांति मुकुंद अस्पताल और पुष्पावती सिंघानिया रिसर्च इंस्टीट्यूट को 600 करोड़ रुपये जमा करने का निर्देश दे चुकी है।
    सरकार का कहना है कि हाईकोर्ट ने सरकार से सस्ती दरों पर भूमि लेने वाले प्राइवेट अस्पताल को गरीब मरीजों को निशुल्क इलाज देेने का आदेश दिया है। अदालत ने स्पष्ट किया था कि जो अस्पताल आदेश का पालन नहीं करते, सरकार उसके खिलाफ कार्रवाई करे। उपरोक्त अस्पतालों ने गरीबों को निशुल्क इलाज न देकर उक्त राशि का लाभ कमाया है।

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