इंसानियत केवल इंसानों में ही नहीं, जानवरों में भी होती है। चंपावत के लोहाघाट रोडवेज कार्यशाला में बने पानी के टैंक में डूबे बंदर के बच्चे को बचाने में 10 बंदरों की मौत हो गई है । वन विभाग ने मौके पर पहुंचकर सभी मृत बंदरों को टैंक से बाहर निकाला। पोस्टमार्टम के बाद उन्हें रोडवेज कार्यशाला परिसर में दफना दिया।
सोमवार देर शाम एक बंदर का बच्चा अपनी मां से बिछड़ कर छमनियां स्थित रोडवेज कार्यशाला परिसर में वाहनों की साफ-सफाई के लिए बने पानी के टैंक में गिर गया, जिसे बचाने की खातिर अन्य सभी बंदर टैंक में कूद गए। हालांकि टैंक में पानी करीब तीन फिट था, लेकिन टैंक की करीब 10 फिट की गहराई होने के कारण कोई भी बंदर वहां से निकल नहीं पाया।
काफी देर तक टैंक में फंसे रहने के कारण टैंक में डूबे सभी 10 बंदरों की मौत हो गई। वन विभाग को जानकारी मिलने के बाद मंगलवार सुबह वन विभाग के उप प्रभागीय वनाधिकारी महिपाल सिंह सिरोही और लोहाघाट क्षेत्र के रेंजर दीप जोशी के नेतृत्व में गई टीम ने रोडवेज परिसर में जाकर बंदरों को पानी से बाहर निकाला।
इसके बाद सभी बंदरों का पोस्टमार्टम किया गया। पशु चिकित्साधिकारी डॉ. डीके चंद ने पोस्टमार्टम कर बताया कि सभी बंदरों की मौत डूबने के कारण हुई है।
सोमवार देर शाम एक बंदर का बच्चा अपनी मां से बिछड़ कर छमनियां स्थित रोडवेज कार्यशाला परिसर में वाहनों की साफ-सफाई के लिए बने पानी के टैंक में गिर गया, जिसे बचाने की खातिर अन्य सभी बंदर टैंक में कूद गए। हालांकि टैंक में पानी करीब तीन फिट था, लेकिन टैंक की करीब 10 फिट की गहराई होने के कारण कोई भी बंदर वहां से निकल नहीं पाया।
काफी देर तक टैंक में फंसे रहने के कारण टैंक में डूबे सभी 10 बंदरों की मौत हो गई। वन विभाग को जानकारी मिलने के बाद मंगलवार सुबह वन विभाग के उप प्रभागीय वनाधिकारी महिपाल सिंह सिरोही और लोहाघाट क्षेत्र के रेंजर दीप जोशी के नेतृत्व में गई टीम ने रोडवेज परिसर में जाकर बंदरों को पानी से बाहर निकाला।
इसके बाद सभी बंदरों का पोस्टमार्टम किया गया। पशु चिकित्साधिकारी डॉ. डीके चंद ने पोस्टमार्टम कर बताया कि सभी बंदरों की मौत डूबने के कारण हुई है।