
डॉ दीपक कुमार सिन्हा के फेसबुक वाल से प्राप्त इस हृदयस्पर्शी तस्वीर को देख कर आप इसके पात्रों को सलाम करना नहीं भूलेंगे। चित्र में हाथ जोड़े जो व्यक्ति मुस्कुरा रहा है, वह है अफगानिस्तान की सेना का एक जांबाज सिपाही अब्दुल रहीम। रहीम युद्ध में अपने दोनों हाथ खो चुका था। मरने के पहले केरल के जोसेफ ने उसे अपने दोनों हाथ दान कर दिए। उसके सामने खड़ी जोसेफ की पत्नी और पुत्री रहीम की देह पर जोसेफ के दोनों हाथ देखकर भावविह्वल हैं।
ये वही हाथ हैं जिन्होंने कभी प्यार से उनका आलिंगन किया था। रहीम के बाएं निश्छल हंसी हंसते हुए जो व्यक्ति हैं, वे हैं डॉ सुब्रह्मण्यम अय्यर जिन्होंने उन हाथों का सफल प्रत्यारोपण किया था। हिन्दू डॉक्टर, ईसाई अंगदाता और मुस्लिम लाभार्थी - यह है मनुष्यता और यह है भारतीय संस्कृति ....अरबी नस्ल के लोग कभी इंसानियत और मानवता नही समझ सकते क्योकि अपने जन्म से लेकर अब तक इस्लाम ने इस विश्व को सिर्फ खून खराबा ही दिया है.
कौन कहता है ख़ुदा भूल गया है हमको
किसी भी दिल में अगर प्यार अभी बाकी है !
कौन कहता है ख़ुदा भूल गया है हमको
किसी भी दिल में अगर प्यार अभी बाकी है !