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यहा विराजमान है साक्षात महादेव, हर साल बढ़ती है इस शिवलिंग की लंबाई

इंची टेप से हाइट नापते हैं अधिकारी
   अपनी कलाकृतियों के लिए विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल खजुराहो एक तीर्थ स्थल के रूप में भी जाना जाता है. यहां किसी समय 85 मंदिर होते थे, लेकिन अब गिने-चुने मंदिर ही शेष बचे हैं. 9वीं सदी में बने इन मंदिरों को शक्ति पूजा का बड़ा केंद्र माना जाता था. मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले के तहत आने वाली इसी पर्यटन नगरी में मतंगेश्वर महादेव का एक ऐसा मंदिर है, जिसमें शिवलिंग 9 फीट जमीन के अंदर और बाहर है।
    इतिहासकारों के मुताबिक मतंगेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण 920 ई. के लगभग चंदेला राजा हर्षवर्मन ने करवाया था. खजुराहो के पुरातत्व मंदिरों में यह ही एक ऐसा मंदिर है, जिसमें अब भी पूजा-पाठ होता है. इसे खजुराहो में सबसे ऊंचा मंदिर माना जाता है. मंदिर के पुजारी अवधेश अग्निहोत्री बताते हैं कि कार्तिक माह की शरद पूर्णिमा के दिन शिवलिंग की लंबाई एक तिल के आकार के बराबर बढ़ती जाती है.
    पुजारी ने बताया कि मतंगेश्वर भगवान के शिवलिंग की लंबाई को पर्यटन विभाग के कर्मचारी बकायदा इंची टेप से नापते हैं. जिसके बाद वाकई लंबाई पहले से कुछ ज्यादा मिलती है. खास बात यह है कि शिवलिंग जितना ऊपर की ओर बढ़ता है, ठीक उतना ही नीचे की तरफ भी बढ़ता है. यह चमत्कार देखने लोगों का हुजूम उमड़ता है.
    पुजारी ने बताया कि मतंगेश्वर भगवान के शिवलिंग की लंबाई को पर्यटन विभाग के कर्मचारी बकायदा इंची टेप से नापते हैं. जिसके बाद वाकई लंबाई पहले से कुछ ज्यादा मिलती है. खास बात यह है कि शिवलिंग जितना ऊपर की ओर बढ़ता है, ठीक उतना ही नीचे की तरफ भी बढ़ता है. यह चमत्कार देखने लोगों का हुजूम उमड़ता है.
    खजुराहो में भगवान मतंगेश्वर की बड़ी महिमा है. यहां के घरों में बिना मतंगेश्वर की पूजा के कोई शुभ काम नहीं होता. लोकमत के अनुसार यह परंपरा सदियों से चली आ रही है. यही कारण है कि महादेव का मंदिर सबसे ऊंचा है. बालू पत्थर से बना हुआ यह मंदिर शिल्पकारी की दष्टि से बहुत ही साधारण है. रचना की दृष्टि से ब्रम्हा मंदिर का ही विशाल रूप है.
    मंदिर की छत वर्माकार सुंदर और विशाल है. गर्भगृह के तीन और अहातेदार झरोखे हैं, जिनमें से उत्तरी झरोखे से होकर नीचे की ओर सीढ़ियां बनी हैं. मंदिर का एक ही शिखर पिरामिड शैली का है. प्रवेश द्वार के ऊपर शिखर पर गड़े हुए मुकुट से शिखर का सौंदर्य देखते ही बनता है.