
यूपी के गोरखपुर के घासी कटरा क्षेत्र के निजामपुर की बद्री प्रसाद गली में छापा मारकर पुलिस ने गुरुवार रात जहरीला पेड़ा बनाने की फैक्ट्री का खुलासा किया। मौके से फैक्ट्री मालिक और कुछ कारीगरों को हिरासत में लेकर पुलिस पूछताछ कर रही है।
एक कमरे में चल रही इस फैक्ट्री में आगरा और मथुरा के पेड़े के नाम से माल तैयार किया जा रहा था। सूचना मिलते ही फूड विभाग की टीम भी मौके पर पहुंचकर जांच में जुट गई।
गुरुवार रात गश्त पर निकले सीओ कोतवाली अशोक कुमार पांडेय और तिवारीपुर
थाना प्रभारी राजनाथ सिंह को एक नागरिक ने इस फैक्ट्री की जानकारी दी।
दोनों ने मजिस्ट्रेट के साथ फैक्ट्री पर छापा मार दिया। मौके पर भारी
मात्रा में बन रहे पेड़े को देख मजिस्ट्रेट ने फूड डिपार्टमेंट के
अधिकारियों को भी बुला लिया।
मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी अनिल राय ने बताया कि फैक्ट्री में करीब 20 कुंतल तैयार माल रखा था, जिसे अलग-अलग वेट के डिब्बों में पैक किया जाना था। वहां बेहद गन्दगी के बीच पेड़ा तैयार किया जा रहा था।
ऐसे जुटाते थे सामग्री
फैक्ट्री से पकड़े गए मजदूरों ने पुलिस को बताया कि वे लोग बड़ी-बड़ी दुकानों में जाकर बची हुई मिठाई को गरीबों के बीच दान करने की बात कह कर ले आते थे। फिर इसे फैक्ट्री में दोबारा तैयार करने के लिए कलर और केमिकल का यूज करते थे। इससे तैयार पेड़े को आगरा और मथुरा के नाम से छपे रैपर वाले डिब्बों में पैक कर बाजार में सप्लाई कर देते थे।
एक बोरा मार्टिन देख चकरा गई पुलिस
फैक्ट्री में पेड़े और अन्य खाद्य सामग्री के बीच रखे एक बोरा मार्टिन को देख पुलिस भी चकरा गई। काफी पूछने के बाद एक मजदूर ने बताया कि इसका प्रयोग बासी मिठाई से पेड़ा तैयार करने के दौरान कलर चेंज के लिए किया जाता है।
दो साल से चल रही थी फैक्ट्री
पुलिस के मुताबिक झारखंड के रहने वाले प्रकाश और प्रसाद दो भाई हैं। ये दोनों पिछले दो साल से यहां एक बड़े से कमरे में ये फैक्ट्री चला रहे थे। फैक्ट्री में काम करने वाले अधिकतर कारीगर आगरा और मथुरा के हैं।
मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी अनिल राय ने बताया कि फैक्ट्री में करीब 20 कुंतल तैयार माल रखा था, जिसे अलग-अलग वेट के डिब्बों में पैक किया जाना था। वहां बेहद गन्दगी के बीच पेड़ा तैयार किया जा रहा था।
ऐसे जुटाते थे सामग्री
फैक्ट्री से पकड़े गए मजदूरों ने पुलिस को बताया कि वे लोग बड़ी-बड़ी दुकानों में जाकर बची हुई मिठाई को गरीबों के बीच दान करने की बात कह कर ले आते थे। फिर इसे फैक्ट्री में दोबारा तैयार करने के लिए कलर और केमिकल का यूज करते थे। इससे तैयार पेड़े को आगरा और मथुरा के नाम से छपे रैपर वाले डिब्बों में पैक कर बाजार में सप्लाई कर देते थे।
एक बोरा मार्टिन देख चकरा गई पुलिस
फैक्ट्री में पेड़े और अन्य खाद्य सामग्री के बीच रखे एक बोरा मार्टिन को देख पुलिस भी चकरा गई। काफी पूछने के बाद एक मजदूर ने बताया कि इसका प्रयोग बासी मिठाई से पेड़ा तैयार करने के दौरान कलर चेंज के लिए किया जाता है।
दो साल से चल रही थी फैक्ट्री
पुलिस के मुताबिक झारखंड के रहने वाले प्रकाश और प्रसाद दो भाई हैं। ये दोनों पिछले दो साल से यहां एक बड़े से कमरे में ये फैक्ट्री चला रहे थे। फैक्ट्री में काम करने वाले अधिकतर कारीगर आगरा और मथुरा के हैं।