रामगोपाल का अधिवेशन मुलायम को लगा बगावती, पार्टी से 6 साल के लिए फिर बाहर
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रामगोपाल का अधिवेशन मुलायम को लगा बगावती, पार्टी से 6 साल के लिए फिर बाहर

लेटर में लिखा, कुछ लोग अपने बुरे कामों को छिपाने, सीबीआई से बचने, बीजेपी को फायदा पहुंचाने के लिए नेताजी का लगातार अपमान कर रहे हैं।
     लखनऊ।। समाजवादी पार्टी में विवाद खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा। रविवार को मुलायम सिंह यादव ने 3 दिन में दूसरी बार रामगोपाल को पार्टी से 6 साल के लिए बाहर कर दिया। माना जा रहा था कि शनिवार को रामगोपाल और अखिलेश की पार्टी में वापसी के बाद झगड़े का एक तरह से अंत हो गया था। ऐसा भी लगा कि रामगोपाल अपने बुलाए अधिवेशन को वापस ले लेंगे। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। मुलायम ने इसे बगावत मानते पर रामगोपाल के निष्कासन पर फिर मुहर लगा दी।
शिवपाल को लगा- अधिवेशन अखिलेश का शक्ति प्रदर्शन...
- शनिवार को अखिलेश और रामगोपाल की पार्टी में वापसी के बाद माना जा रहा था कि सपा में सब कुछ ठीक हो गया है।
- मुलायम और शिवपाल भी मान रहे थे कि अब 1 जनवरी को रामगोपाल की ओर से बुलाया गया अधिवेशन कैंसल कर दिया जाएगा।
- शिवपाल को लग रहा था कि यह अखिलेश का शक्ति प्रदर्शन है।
- शिवपाल सुबह मुलायम सिंह से मिले थे और इसके बाद अधिवेशन को असंवैधानिक घोषित करने का लेटर जारी किया गया।
- इसके बाद भी अधिवेशन हुआ। उसमें तीन बड़े प्रस्ताव भी पारित कर दिए गए।
- इस बगावत का जिम्मेदार रामगोपाल को माना गया। आरोप यह भी है कि रामगोपाल बीजेपी को फायदा पहुंचाने के लिए यह सब कर रहे हैं।
- उन्हें मुलायम सिंह के अपमान का भी जिम्मेदार माना गया। इसके बाद ही उन्हें फिर एक बार छह साल के लिए पार्टी से बाहर कर दिया गया।
लेटर हेड पर नहीं है रामगोपाल का निष्कासन
- गौर करने वाली बात है कि अधिवेशन का खारिज करने वाला लेटर मुलायम सिंह यादव के लेटर हेड पर जारी किया गया था, लेकिन रामगोपाल को पार्टी से बाहर करने वाला लेटर सादे कागज पर है। इसमें सिर्फ नीचे की तरफ मुलायम सिंह यादव के दस्तखत हैं।
- कहा जा रहा है कि इससे अखिलेश की वह बात साबित होती है कि नेताजी से कोई भी किसी भी कागज पर दस्तखत करवा सकता है।
क्या है लेटर में?
- 'आपातकालीन राष्ट्रीय प्रतिनिधि सम्मेलन असंवैधानिक है।'
- 'यह सम्मेलन बिना राष्ट्रीय अध्यक्ष की परमिशन के बुलाया गया है। इसमें पारित किए गए सारे प्रस्ताव और फैसले अवैध हैं।'
- 'कुछ लोग अपने बुरे कामों को छिपाने, सीबीआई से बचने, बीजेपी को फायदा पहुंचाने के लिए नेताजी का लगातार अपमान कर रहे हैं।'
- 'उन्हीं लोगों ने ये सम्मेलन बुलाने की साजिश की है।'
- 'सम्मेलन की पूरी कार्यवाही को अंसवैधानिक बताते हुए रामगोपाल यादव को 6 साल के लिए पार्टी से निकालने की पुष्टि की जाती है।'
- लेटर में ये भी बताया गया है कि 5 जनवरी को मुलायम ने जनेश्वर मिश्र पार्क में आकस्मिक राष्ट्रीय अधिवेशन बुलाया है।
बीते 3 दिन में क्या हुआ?
- मुलायम सिंह यादव ने 30 दिसंबर की शाम अखिलेश और रामगोपाल यादव को पार्टी से 6 साल के लिए निकाल दिया।
- मुलायम ने कहा था, "रामगोपाल यादव ने पार्टी को कमजोर करने का काम किया है। अखिलेश मेरी भी नहीं सुन रहे हैं। रामगोपाल ने उनका भविष्य खराब कर दिया है। समाजवादी पार्टी अब नया सीएम चुनेगी।''
- मुलायम-शिवपाल ने तीन बार में 393 कैंडिडेट्स की लिस्ट जारी की। इसके बाद अखिलेश यादव ने 235 कैंडिडेट्स की अपनी अलग लिस्ट जारी की। इसमें मुलायम की लिस्ट वाले 31 कैंडिडेट्स के नाम काट दिए। यहीं से टकराव गहराया।
- 31 दिसंबर को पार्टी से निकाले जाने के 20 घंटे के बाद अखिलेश और रामगोपाल को पार्टी में वापस ले लिया गया।
- शिवपाल ने कहा, 'कहीं कोई दिक्कत नहीं है। सभी चीजें सुलझा ली गई हैं। आने वाले चुनाव में सब एकसाथ जाएंगे।'
- रविवार को रामगोपाल ने सपा का अधिवेशन बुलाया। इसके बाद उन्हें एक बार फिर मुलायम ने पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया।

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