आईएएस ने बैठे-बैठे ही दिलवा दी संविधान की शपथ
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आईएएस ने बैठे-बैठे ही दिलवा दी संविधान की शपथ

टाॅप करने से कुछ नहीं होता, व्यवहारिकता भी सीखनी पड़ती है
किशनगढ़ में भाजपा विधायक की तिकड़ी वार्ड का चुनाव भी हार गई

      7 मार्च को अजमेर जिले के किशनगढ़ उपखंड की कार्यवाहक एसडीएम टीना डाबी (प्रशिक्षु आईएएस) ने न केवल भारतीय संविधान का मजाक उड़ाया, बल्कि व्यवहारिकता का भी परिचय नहीं दिया। किशनगढ़ नगर परिषद के एक वार्ड के चुनाव परिणाम के बाद डाबी को नवनिर्वाचित पार्षद हेमलता नायक को संविधान की शपथ दिलवाकर निर्वाचन का प्रमाण पत्र देना था। डाबी ने एसडीएम की कुर्सी पर बैठे-बैठे ही शपथ दिलवा दी तथा बाद में बैठे हुए ही प्रमाण पत्र दे दिया। कायदे से डाबी को खड़े होकर संविधान की शपथ दिलवानी थी और सामान्य शिष्टाचार दिखाते हुए खड़े होकर ही निर्वाचन का प्रमाण पत्र देना चाहिए था। सब जानते हैं कि टीना डाबी ने वर्ष 2015 में यूपीएससी की परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया था और तब वे सुर्खियों में आई थी। उस समय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी टीना डाबी को शुभकामनाएं दी । लेकिन परीक्षा में टाॅप करना और नौकरी में व्यवहार प्रकट करने में अंतर होता है। गंभीर बात तो यह है कि डाबी अभी प्रशिक्षण काल में ही हैं। प्रशिक्षण के दौरान ही उन्हें कायदे कानून सीखने हैं।
वार्ड चुनाव भी हार गई तिकड़ीः
     किशनगढ़ में सत्तारूढ़ भाजपा अभी लोकसभा उपचुनाव की हार से उभर भी नहीं पाई थी कि 7 मार्च को किशनगढ़ नगर परिषद के वार्ड संख्या 38 का उपचुनाव भी हार गई है। वार्ड के उपचुनाव को जीतने के लिए क्षेत्रीय भाजपा विधायक भागीरथ चौधरी, परिषद के सभापति सीताराम साहू और उपसभापति राजू बाहेती ने पूरा जोर लगा दिया, लेकिन यह तिकड़ी भी भाजपा को उम्मीदवार सुनीता नायक को चुनाव नहीं जितवा सकी। यहां कांग्रेस की उम्मीदवार हेमलता को 827 तथा भाजपा को 682 मत मिले। यानि भाजपा को 145 मतों से हार का सामना करना पड़ा। हाल ही में लोकसभा उपचुनाव में भाजपा इसी वार्ड से 136 मतों से पीछे रही थी, लेकिन इस बार भी भाजपा के नेताओं ने कोई सबक नहीं लिया। जबकि सुनीता नायक को इस तिकड़ी की सिफारिश से ही उम्मीदवार बनाया गया था। किशनगढ़ नगर परिषद में कुल 45 पार्षद हैं, इसमें से अब भाजपा के 21 पार्षद ही रह गए हैं। कांग्रेस के 18 तथा 6 निर्दलीय पार्षद हैं। ऐसे में सभापति का पद भी भाजपा से छीन सकता है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक नाथूराम सिनोदिया के समर्थकों ने भाजपा बोर्ड को गिराने के प्रयास भी शुरू कर दिए हैं। किशनगढ़ भाजपा में जो आंतरिक विवाद है उसका फायदा भी कांग्रेस को मिलेगा।

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