उमा, संजय, नीरज, नसीम, नईम......
उत्तर प्रदेश के आतंकवाद विरोधी दस्ते (एटीएस) का दावा है कि उसने 10 ऐसे भारतीयों को गिरफ़्तार किया है जो पाकिस्तानी चरमपंथी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के इशारे पर काम कर रहे थे और कथित तौर पर भारत में आतंकवाद फैलाने के लिए पैसे के लेनदेन में शामिल थे. यूपी एटीएस के चीफ़ असीम कुमार अरुण के मुताबिक टेरर फ़ंडिंग के मामले में पिछले साल कुछ लोग गिरफ़्तार हुए थे, जो आईएसआई के लिए जासूसी करते थे.
साल 2016 में आईएसआई एजेंट तरसेम लाल और सेना की गुप्त सूचनाएं पाकिस्तान को देने वाले सतविंदर और दादू जम्मू में गिरफ़्तार हुए थे.
बलराम नाम का एक शख़्स उनकी आर्थिक मदद करता था जिसे मध्य प्रदेश से गिरफ़्तार किया गया था. यूपी एटीएस का दावा है कि इन दोनों प्रकरणों में पाकिस्तानी हैंडलर वही था जो इस बार प्रतापगढ़ के संजय और रीवा के उमा प्रताप सिंह के संपर्क में था.
असीम अरुण की मानें तो गिरफ़्तार किए गए 10 लोगों में से चार लोग उमा प्रताप, संजय, नसीम और नईम ऐसे हैं जिन्हें सीधे पाकिस्तान से ऑर्डर मिलता था कि वो फ़र्ज़ी बैंक अकाउंट खोलें और टेरर फ़ंडिंग के लिए भारत में पैसा जमा करें.
हालाँकि भारत के अलग-अलग राज्यों में एटीएस बड़े दावों के साथ कई गिरफ़्तारियाँ करती रही है, लेकिन कोर्ट में जाकर एटीएस के दावों को कई दफ़ा ग़लत भी पाया गया या उन्हें साबित नहीं किया जा सका. अब देखने वाली बात यह होगी क्या इस मामले में एटीएस आरोपियों को सजा दिलाने में कामयाब हो पायेगी ?
उत्तर प्रदेश के आतंकवाद विरोधी दस्ते (एटीएस) का दावा है कि उसने 10 ऐसे भारतीयों को गिरफ़्तार किया है जो पाकिस्तानी चरमपंथी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के इशारे पर काम कर रहे थे और कथित तौर पर भारत में आतंकवाद फैलाने के लिए पैसे के लेनदेन में शामिल थे. यूपी एटीएस के चीफ़ असीम कुमार अरुण के मुताबिक टेरर फ़ंडिंग के मामले में पिछले साल कुछ लोग गिरफ़्तार हुए थे, जो आईएसआई के लिए जासूसी करते थे.
साल 2016 में आईएसआई एजेंट तरसेम लाल और सेना की गुप्त सूचनाएं पाकिस्तान को देने वाले सतविंदर और दादू जम्मू में गिरफ़्तार हुए थे.
बलराम नाम का एक शख़्स उनकी आर्थिक मदद करता था जिसे मध्य प्रदेश से गिरफ़्तार किया गया था. यूपी एटीएस का दावा है कि इन दोनों प्रकरणों में पाकिस्तानी हैंडलर वही था जो इस बार प्रतापगढ़ के संजय और रीवा के उमा प्रताप सिंह के संपर्क में था.
असीम अरुण की मानें तो गिरफ़्तार किए गए 10 लोगों में से चार लोग उमा प्रताप, संजय, नसीम और नईम ऐसे हैं जिन्हें सीधे पाकिस्तान से ऑर्डर मिलता था कि वो फ़र्ज़ी बैंक अकाउंट खोलें और टेरर फ़ंडिंग के लिए भारत में पैसा जमा करें.
हालाँकि भारत के अलग-अलग राज्यों में एटीएस बड़े दावों के साथ कई गिरफ़्तारियाँ करती रही है, लेकिन कोर्ट में जाकर एटीएस के दावों को कई दफ़ा ग़लत भी पाया गया या उन्हें साबित नहीं किया जा सका. अब देखने वाली बात यह होगी क्या इस मामले में एटीएस आरोपियों को सजा दिलाने में कामयाब हो पायेगी ?