मुंबई।। एक नए शोध में चेताया गया है कि जिन लोगों के दिल की धड़कनें तेज होती
हैं, उनमें मधुमेह का जोखिम अधिक होता है। शोध के निष्कर्षो में दर्शाया
गया है कि प्रत्येक अतिरिक्त 10 धड़कनें मधुमेह के खतरे को 23 फीसदी तक
बढ़ा देती हैं। अध्ययनकर्ताओं के मुताबिक इस शोध में हमने करीब 1,00,000
चीनी वयस्कों की सुस्त हृदय गति का मूल्यांकन किया और चार सालों तक उनका
अनुसरण किया। उन्होंने कहा कि हमने पाया कि तेज हृदय गति वाले प्रतिभागियों
में मधुमेह का खतरा बढ़ गया है।
निष्कर्ष चेताता है कि हृदय दर मापने के
साधन व्यक्ति में मधुमेह के भावी उच्च जोखिम का पता लगा सकते हैं।
शोधकर्ताओं ने एक शारीरिक परीक्षा में हृदय गति को मापा। शोधकर्ताओं ने
करीब पांच मिनट के आराम के बाद एक बार फिर अपनी पीठ के बल लेटे
प्रतिभागियों की हृदयगति रिकॉर्ड की। इस बार उन्होंने इस काम में 12-लीड
इलेक्ट्रोकोॢडयोग्राम (चित्रमय रिकॉॢडग) का इस्तेमाल किया। चार वर्षो की
अनुवर्ती परीक्षा के दौरान शोधकर्ताओं को 17,463 पूर्व मधुमेह
(प्री-डायबिटिक) और 4,649 मधुमेह के मामले मिले।
आपको डायबीटीज है तो इन दवाओं से रहे दूर
अगर आपको डायबीटीज है और आप डॉक्टर के पर्चे पर लिखी कोई भी दवा खरीद लेते हैं तो सावधान रहे। हाल ही में भारत आईं कुछ दवाएं आपके लिए भारी मुसीबत खड़ी कर सकती हैं। दरअसल, टाइप-2 डायबीटीज की तीन दवाओं पर अमेरिका ने खतरे की घंटी बजा दी है। इनमें से दो दवाएं हाल ही में भारत में लॉन्च भी हुई हैं। यूएस फूड ऐंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने डॉक्टर और मरीजों को चेताया है कि वे टाइप-2 डायबीटीज के लिए कैनाग्लिफ्लोजिन, डैपाग्लिफ्लोजिन और एम्पाग्लिफ्लोजिन का इस्तेमाल न करें।
आपको डायबीटीज है तो इन दवाओं से रहे दूर
अगर आपको डायबीटीज है और आप डॉक्टर के पर्चे पर लिखी कोई भी दवा खरीद लेते हैं तो सावधान रहे। हाल ही में भारत आईं कुछ दवाएं आपके लिए भारी मुसीबत खड़ी कर सकती हैं। दरअसल, टाइप-2 डायबीटीज की तीन दवाओं पर अमेरिका ने खतरे की घंटी बजा दी है। इनमें से दो दवाएं हाल ही में भारत में लॉन्च भी हुई हैं। यूएस फूड ऐंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने डॉक्टर और मरीजों को चेताया है कि वे टाइप-2 डायबीटीज के लिए कैनाग्लिफ्लोजिन, डैपाग्लिफ्लोजिन और एम्पाग्लिफ्लोजिन का इस्तेमाल न करें।
दवाओं की गुणवत्ता पर निगरानी रखने
वाली इस एजेंसी ने बताया कि इन दवाओं से ब्लड एसिड्स में काफी बढ़ोतरी हो
सकती है जिसके बुरे नतीजे हो सकते हैं। ये तीनों ही नई दवाएं शरीर में ब्लड
शुगर कम करने के लिए किडनी को पेशाब के रास्ते शुगर को बाहर निकालने के
लिए सक्रिय करती हैं। टाइप-2 डायबीटीज के लिए आने वाली बाकी दवाएं किडनी की
जगह पैंक्रियस (पाचक-ग्रंथि) का इस्तेमाल करती हैं। हालांकि, अभी अमेरिकी
एजेंसी ने इन दवाओं पर प्रतिबंध नहीं लगाया है पर डॉक्टरों से यह जरूर कहा
कि ये दवाएं देते वक्त सावधानी बरतें। एजेंसी ने इन दवाओं का सेवन करने
वाले लोगों से भी कहा है कि अगर दवा खाने के बाद सांस लेने, पेट में दर्द
या उल्टी की तकलीफ हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।