
पांच जजों की बेंच के सदस्य जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा, "बैंक खातों को आधार से लिंक करने से क्या होगा? बैंक कर्मचारी जिसे करोड़ों का लोन देते हैं, क्या वो उसे नहीं पहचानते? ऐसे मामलों में आधार के होने या न होने से क्या फर्क पड़ता है? पैसों का गबन इसलिए होता है क्योंकि बैंक अधिकारी धोखेबाज़ से मिले होते हैं."
जज ने आगे कहा, "हम इस दलील को समझ सकते हैं कि आधार से कल्याणकारी योजनाओं का लाभ सही लोगों तक पहुंचाने में मदद मिली है. लेकिन आधार से बैंक फ्रॉड रुक जाएंगे, इस दलील को मानना मुश्किल है." बात को आगे बढ़ाते हुए जस्टिस ए के सीकरी ने कहा, "आधार से समाज में छाई असमानता कम होने की दलील दी जा सकती है. लेकिन सच तो यही है कि समय के साथ असमानता बढ़ी ही है."
कोर्ट ने ये भी पूछा कि सरकार हर मोबाइल नंबर को आधार से लिंक क्यों करना चाहती है? क्या उसकी नज़र में हर नागरिक आतंकवादी है? जवाब में एटॉर्नी जनरल ने कहा, "हर नागरिक को आतंकवादी नहीं है. लेकिन आतंकवादी भी तो मोबाइल का इस्तेमाल कर सकते हैं. आधार के ज़रिए सिम धारक की पहचान सुरक्षा के लिहाज से ज़रूरी है." इस पर कोर्ट ने कहा, "आतंकवादी तो सैटेलाइट फोन का भी इस्तेमाल कर सकते हैं."
गौरतलब है कि जब आधार योजना का विरोध कर रहा पक्ष जिरह कर रहा था, तब भी कोर्ट ने कड़े सवाल किए थे. तब कोर्ट ने कहा था, "आप ऐसा न समझें कि हमारे सवाल सिर्फ आपके लिए हैं. जब सरकार की बारी आएगी, तब हम उनसे भी ज़रूरी सवाल करेंगे." मामले की सुनवाई मंगलवार को जारी रहेगी.