लखनऊ के काशीराम स्मृति उपवन में रविवार को बीजेपी सांसद सावित्री बाई फुले ने अपनी ही सरकार के खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया है. फुले केन्द्र सरकार की दलित विरोधी नीतियों के खिलाफ 'भारतीय संविधान व आरक्षण बचाओ महारैली का आयोजन' किया है. रैली का शुभारंभ उन्होंने डॉ भीमराव आंबेडकर और काशीराम की मूर्ति पर पुष्प अर्पित कर किया. सावित्री बाई फुले यूपी के बहराइच से बीजेपी सांसद हैं.
इस दौरान मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि आरक्षण कोई भीख नहीं बल्कि प्रतिनिधित्व का मामला है. यदि शासक वर्ग ने भारत के संविधान को बदलने और हमारे आरक्षण को खत्म करने का दुस्साहस किया तो भारत की धरती पर खून की नदियां बहेंगी. यह हमारे बाबा साहेब का दिया अधिकार है किसी और के बाप दादा या भगवान का नहीं.
बीजेपी सांसद ने कहा कि इस रैली में प्रदेश के प्रत्येक जिले व गांव शहर
से बड़ी तादाद में बहुजन मूलनिवासी समाज के महिला पुरुष शामिल हुए हैं.
महारैली में बहुजन मूलनिवासी समाज के लोग तथा नेतागण एवं संगठनों के लोग
सादर आमंत्रित हैं. बता दें कि इससे पहले फुले ने अपनी ही सरकार व पार्टी
के कुछ वरिष्ठ नेताओं पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा है था कि केंद्र
सरकार आरक्षण खत्म करने की साजिश कर रही है.
सावित्री बाई ने आरोप लगाया था कि केंद्र सरकार की नीतियों के कारण एससी-एसटी, पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक खतरे में हैं. इससे भारतीय संविधान और आरक्षण भी खतरे में आ गया है. सांसद ने अपनी मांगों को सरकार के सामने रखा था, इसमें प्राइवेट सेक्टर में भी आरक्षण जैसी व्यवस्था की मांग भी शामिल है. सांसद सावित्री बाई फुले ने बाबा साहब भीमराव अंबेडकर का नाम बदलकर भीमराव रामजी आंबेडकर किए जाने के योगी सरकार के फैसले पर नाराजगी जताई थी.
सावित्री बाई ने आरोप लगाया था कि केंद्र सरकार की नीतियों के कारण एससी-एसटी, पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक खतरे में हैं. इससे भारतीय संविधान और आरक्षण भी खतरे में आ गया है. सांसद ने अपनी मांगों को सरकार के सामने रखा था, इसमें प्राइवेट सेक्टर में भी आरक्षण जैसी व्यवस्था की मांग भी शामिल है. सांसद सावित्री बाई फुले ने बाबा साहब भीमराव अंबेडकर का नाम बदलकर भीमराव रामजी आंबेडकर किए जाने के योगी सरकार के फैसले पर नाराजगी जताई थी.