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फिर कैसे ना कहे कि मिडिया बिक चूका है ?

इस जमात में रविश कुमार दिख जाए तो बता देना!
     मनमोहन सिंह पर इल्जाम लगता रहा कि वे मनचाही ख़बरें दिखाने के लिए पत्रकारों को मुफ्त में हवाई यात्राएं करने की इजाजत देते थे। विदेशों में उनके रहने खाने तथा घूमने फिरने की सारी व्यवस्था तत्कालीन भारत सरकार देखती थी।
     इस तस्वीर में दिख रहे सारे चोटी के पत्रकार हैं। ये चोटी के पत्रकार पिछले 4 साल से सरकार के हर काले कारनामे को बड़ी खूबसूरती से ढंकते आये हैं। शाम 4 बजे से लेकर रात के 11 बजे तक अलग अलग चैनलों पर चीखते चिल्लाते हैं। सरकार के प्रवक्ता से सवाल करने पर ये खुद सरकारी प्रवक्ता की भूमिका में आ जाते हैं। अन्य प्रवक्ताओं की बात बीच में या तो काट देते हैं या फिर ब्रेक ले लेते हैं। किम जोंग,रोहिंग्या मुस्लमान, कश्मीरी पत्थरबाजों और हिन्दू मुसलमान- जैसे मुद्दों में इन्हे खासी दिलचस्पी है। किसी किसी को तो 2000 के नए नोट में Nano चिप भी मिल गयी थी।
    हाल का ही उदाहरण ले लीजिये। प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र बनारस में निर्माणाधीन फ्लाईओवर का एक हिस्सा ढह जाता है जिसमे जानमाल की काफी क्षति होती है। 4 दिन होने को आये लेकिन तंत्र से इन्होने एक सवाल तक नहीं पूछा। ऐसे कई मुद्दों को या तो इन्होने दबा दिया या तोड़मरोड़ कर सरकार के पक्ष में पेश किया। मनमोहन सिंह के कार्यकाल में इन्ही मूर्धन्य पत्रकारों को Gen वीके सिंह जी ने prestitute कहा था।