सरकारी बैंकों की स्थिति लगातार खराब होती जा रही है. पिछले एक साल में बैंकों ने करोड़ों रुपये डुबो दिए हैं. अभी तक जिन सरकारी बैंकों ने जनवरी-मार्च तिमाही के नतीजों का ऐलान किया है, उनमें नौ को 43,026 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है. आपको बता दें कि इन बैंकों का पीसीए शुरू हो गया है. इसका मतलब है कि ये बैंक अब नए ब्रांच नहीं खोल पाएंगे. स्टाफ हायर करने पर रोक लग गई है. साथ ही ज्यादा रिस्क वाले बॉरोअर्स को लोन बांटने पर भी पाबंदी लग गई है. अंग्रेजी न्यूजपेपर इकोनॉमिक टाइम्स में छपी खबर के मुताबिक, आईडीबीआई, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक, कॉर्पोरेशन बैंक और यूनाइटेड बैंक जैसे बैंकों को सरकार ने रेशनलाइजेशन बॉन्ड्स के जरिए पिछले वित्त वर्ष के अंतिम महीनों में 80,000 करोड़ रुपये दी थी. इस रीकैपिटलाइजेशन प्रोग्राम को बीते एक तिमाही भी नहीं हुई कि पब्लिक सेक्टर बैंकों में पूंजी लगाने को लेकर सरकारी प्रतिबद्धता पर दबाव बढ़ गया. सरकार ने पिछले वित्त वर्ष में पब्लिक सेक्टर बैंकों में जितनी रकम लगाई थी, उसके आधे का घाटा (43,026 करोड़ रुपये) तो नौ बैंकों को ही हो गया.
वित्त वर्ष 2017-18 में सरकारी बैंकों के बीच सबसे ज्यादा 12,282 करोड़ रुपये का नुकसान पीएनबी को हुआ है. घाटे के मामले में ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स पब्लिक सेक्टर के बैंकों में दूसरे नंबर है. अब तक सिर्फ दो सरकारी बैंक, विजया बैंक और इंडियन बैंक ने ही मुनाफा कमाया है. वित्त वर्ष 2017-18 में विजया बैंक को 727 करोड़ और इंडियन बैंक को 1,258 करोड़ रुपये का लाभ हुआ है. आरबीआई ने अब 11 सरकारी बैंकों के खिलाफ पीसीए जारी किया है, जबकि देना बैंक और इलाहाबाद बैंक को वॉचलिस्ट में डाल दिया है. मैक्वायरी कैपिटल सिक्यॉरिटीज की रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार को पब्लिक सेक्टर बैंकों में कम-से-कम एक करोड़ रुपये की पूंजी लगानी होगी.
बैंकिंग रेग्युलेटर की तरफ से पीसीए शुरू किए जाने से बैंक के नए ब्रांच खोलने, स्टाफ हायर करने और ज्यादा रिस्क वाले बॉरोअर्स को लोन बांटने पर पाबंदी लग जाती है. किसी बैंक के खिलाफ पीसीए तब शुरू होता है, जब प्रवीजिनिंग के बाद भी उसका बैड लोन 10% से ज्यादा रहता है और वह लगातार दो साल से घाटा दिखा रहा होता है.
बैंकिंग ऐनालिस्टों का मानना है कि बैड लोन को लेकर बनाए नए सेंट्रल बैंकिंग नॉर्म्स के चलते पीसीए झेल रहे बैंकों का परफॉर्मेंस बिगड़ सकता है. रेग्युलेटर ने डेट रीस्ट्रक्चरिंग स्कीमों को खत्म कर दिया है जिनके जरिए बैंक अपने बैड लोंस की विंडो ड्रेसिंग किया करते थे. ऐसे में पब्लिक सेक्टर बैंकों को 2017-18 में होने वाला लॉस रीकैपिटलाइजेशन प्लान पर सरकार के सारे किए कराए पर पानी फेर देगा. सरकार से इन बैंकों को मिली पूंजी का 75 से 80% हिस्सा घाटेकी भेंट चढ़ सकता है.
