चुनाव आयोग ने कहा है कि राष्ट्रीय पार्टियां सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत आने वाले सार्वजनिक प्राधिकरण हैं, जैसा कि केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने उनके संबंध में घोषणा की है. हालांकि, एक दिन पहले ही चुनाव आयोग ने एक आरटीआई आवेदन पर कहा था , “राजनीतिक पार्टियां आरटीआई कानून के दायरे से बाहर हैं.” चुनाव आयोग ने एक बयान जारी कर स्पष्ट किया कि राष्ट्रीय पार्टियों को आरटीआई कानून से जुड़े आशयों के लिए सार्वजनिक प्राधिकरण घोषित करने के सीआईसी के तीन जून, 2013 के एक आदेश का वह अनुपालन करता है.
सीआईसी के आदेश में इस बारे में कहा गया था कि इन पार्टियों द्वारा प्राप्त किए जाने वाले चंदों के साथ ही उनके वार्षिक ऑडिटेड खातों की सूचना आयोग को कब सौंपी गई, इसकी जानकारी सार्वजनिक की जाएगी. यह आदेश विहार धूर्वे के आरटीआई आवेदन पर आया है जिन्होंने छह राष्ट्रीय पार्टियों - कांग्रेस, बीजेपी, एनसीपी, बीएसपी, माकपा और भाकपा द्वारा चुनावी बॉन्ड के रूप में प्राप्त चंदे के विवरण मांगे थे.
उनकी पहली अपील पर चुनाव आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा था , “मांगी गई जानकारी आयोग के पास उपलब्ध नहीं है. यह राजनातिक पार्टियों से जुड़ा हुआ मामला है और वे आरटीआई के दायरे से बाहर हैं.”
सीआईसी के आदेश में इस बारे में कहा गया था कि इन पार्टियों द्वारा प्राप्त किए जाने वाले चंदों के साथ ही उनके वार्षिक ऑडिटेड खातों की सूचना आयोग को कब सौंपी गई, इसकी जानकारी सार्वजनिक की जाएगी. यह आदेश विहार धूर्वे के आरटीआई आवेदन पर आया है जिन्होंने छह राष्ट्रीय पार्टियों - कांग्रेस, बीजेपी, एनसीपी, बीएसपी, माकपा और भाकपा द्वारा चुनावी बॉन्ड के रूप में प्राप्त चंदे के विवरण मांगे थे.
उनकी पहली अपील पर चुनाव आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा था , “मांगी गई जानकारी आयोग के पास उपलब्ध नहीं है. यह राजनातिक पार्टियों से जुड़ा हुआ मामला है और वे आरटीआई के दायरे से बाहर हैं.”