कैसे होगी देश की रक्षा : देशद्रोहियों से पत्थर भी खा ओ और फिर केस भी झेलो
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कैसे होगी देश की रक्षा : देशद्रोहियों से पत्थर भी खा ओ और फिर केस भी झेलो


पत्थरबाजों के हमले में जान बचाकर लौटे CRPF जवानों पर ही दर्ज हुआ मुकदमा क्योंकि वाहन के आगे ही कूद पड़ा एक आत्मघाती पत्थरबाज...
       जब पूरा देश सो रहा होता है तो उस समय भारतीय सेना जागकर अपनी जान हथेली पर रखकर सीमा पर सजगता से हमारी सुरक्षा कर रही होती है, सर पर कफ़न बांधकर आतंकियों के खिलाफ संघर्ष कर रही होती है. देश की जनता चैन की नींद सो सके इसके लिए भारतीय सेना जागती है, देश की जनता की जान न जाये इसके लिए भारतीय सेना अपनी जान देती है. इसके बावजूद जिन नेताओं की सुरक्षा अपनी जान पर खेलकर सेना करती है. वही नेता सेना को सड़क का गुंडा बताते हैं. जिन आतंकियों से सेना देश को लहूलुहान होने से बचाती है, उन आतंकवादियों के समर्थन में देश के तमाम तथाकथित बुद्धिजीवी खड़े हो जाते हैं तथा सेना को ही दोषी ठहराने लगते हैं.
      एक बार फिर से तुष्टिकरण की राजनीति की शिकार भारतीय सेना हुई है जब कश्मीर में CRPF के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है. बता दें कि कल जुम्मे की नमाज के बाद कश्मीर में मजहबी उन्मादी आतंकियों ने सेना पर भीषणतम पत्थरबाजी शुरु कर दी. वह सेना के जवानों की हत्या करने पर उतारू थे. देखते ही देखते एक आत्मघाती पत्थरबाज सेना की गाड़ी के आगे कूद गया तथा गाडी से कुचकर उसकी मौत हो गयी. जैसे तैसे अपनी जान बचाकर CRPF के जवान वहां से निकले. इसके बाद शुरु हुई बेहद ही घटिया, निम्नस्तरीय तुष्टीकरण की राजनीति जिसने राष्ट्र रक्षक सेना को भी नहीं बख्शा. CRPF के खिलाफ संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया गया.
     आत्मघाती पत्थरबाज ने सेना की गाड़ी के आगे कूदकर अपनी जान दे दी, इसके लिए CRPF के खिलाफ धारा 307, 279, 148 149, 152, 336, 427 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया. देश के लिए इससे अधिक शर्मनाक कुछ नहीं हो सकता है कि जो पत्थरबाज कुत्ते देश की रक्षक सेना की जान लेने पर उतारू थे, जिनसे जैसे तैसे सेना ने अपनी जान बचाई, आज उसी सेना के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया. जब सेना का जवान अपनी जान देता है तो ये कश्मीरी पत्थरबाज कुत्ते जश्न मनाते हैं. खैर ऐसी स्थिति में कभी कभी तो सेना के जवान भी सोचते होंगे कि एक नेताजी ने सच कहा था कि "सेना के जवान मरने के लिए होते हैं *सेना के खिलाफ ये मुकदमा महबूबा मुफ्ती सरकार का बेहद ही घटिया तथा तुष्टीकरण की पराकाष्ठा को पार करने वाला निर्णय है तथा सेना के मनोबल पर भीषण हमला है.

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