पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले के एक गाँव में ममता बनर्जी के तृणमूल हत्यारों ने भाजपा के एक और कार्यकर्ता दुलाल कुमार की नृशंस हत्या कर एक पोल से लटका दिया है। चार दिन पहले भाजपा के 18 वर्षीय दलित कार्यकर्ता त्रिलोचन महतो की भी इसी तरह हत्या कर पेड़ से लटका दिया गया था।
कुछ ही दिन पहले ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी ने अपने तृणमूलिया गुंडों से बंगाल को "विपक्ष-मुक्त" बनाने की हिंसक अपील की थी। तृणमूल के "विपक्ष-मुक्त बंगाल" को भाजपा के "कांग्रेस-मुक्त भारत" से तुलना मत करिएगा क्योंकि तृणमूल ने "मुक्त" करने की परिभाषा कम्युनिस्टों से सीखी जिनके लिए इसका अर्थ केवल चुनाव हराना नहीं बल्कि बम फेंकना, गोली चला देना, अंग-भंग कर देना, गर्दन रेत देना, जान से मार डालना होता है। अभिषेक बनर्जी की अपील पर ममता की हत्यारी फ़ौज पूरे बंगाल में भाजपा कार्यकर्ताओं की खोज-खोजकर हत्या कर रही है, वह भी बंगाल पुलिस के संरक्षण में।
मीडिया, बुद्धिजीवी, पत्रकार, बॉलीवुड, वामी, इस्लामी, वेटिकन के गुर्गे, तथाकथित दलित चिंतक, सेकुलरबाज उचक्के, आपिये सब के सब अपनी चिर-परिचित शातिराना चुप्पी साधे हुए हैं। कहीं कोई असहिष्णुता, साम्प्रदायिकता, दलित एट्रोसिटी, लोकतन्त्र को खतरा नहीं दिखाई दे रहा अब।
कुछ ही दिन पहले ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी ने अपने तृणमूलिया गुंडों से बंगाल को "विपक्ष-मुक्त" बनाने की हिंसक अपील की थी। तृणमूल के "विपक्ष-मुक्त बंगाल" को भाजपा के "कांग्रेस-मुक्त भारत" से तुलना मत करिएगा क्योंकि तृणमूल ने "मुक्त" करने की परिभाषा कम्युनिस्टों से सीखी जिनके लिए इसका अर्थ केवल चुनाव हराना नहीं बल्कि बम फेंकना, गोली चला देना, अंग-भंग कर देना, गर्दन रेत देना, जान से मार डालना होता है। अभिषेक बनर्जी की अपील पर ममता की हत्यारी फ़ौज पूरे बंगाल में भाजपा कार्यकर्ताओं की खोज-खोजकर हत्या कर रही है, वह भी बंगाल पुलिस के संरक्षण में।
मीडिया, बुद्धिजीवी, पत्रकार, बॉलीवुड, वामी, इस्लामी, वेटिकन के गुर्गे, तथाकथित दलित चिंतक, सेकुलरबाज उचक्के, आपिये सब के सब अपनी चिर-परिचित शातिराना चुप्पी साधे हुए हैं। कहीं कोई असहिष्णुता, साम्प्रदायिकता, दलित एट्रोसिटी, लोकतन्त्र को खतरा नहीं दिखाई दे रहा अब।