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अखिल भारतीय ब्राम्हण महासभा ने 38 अन्य अगड़ी जातीय समूहों के साथ उत्तर प्रदेश की राजधानी में विरोध प्रदर्शन किया. सभी लोग केंद्र सरकार की ओर से SC/ST Act में किए गए संशोधन का विरोध कर रहे थे. लखनऊ के हजरतगंज में विरोध प्रदर्शन की अगुवाई ब्राम्हण महासभा के अध्यक्ष कमलेश तिवारी ने की. उन्होंने मांग किया कि एक्ट में संशोधन को तुरंत वापस लिया जाए और सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लागू किया जाए, ताकि ऐसे मामलों में तुरंत गिरफ्तारी ना हो.
तिवारी ने कहा, हम इस बात की मांग भी करते हैं अनुसूचित जाति आयोग, अल्पसंख्यक आयोग और महिला आयोग की तरह सवर्ण आयोग बनाया जाए. बीजेपी ने 85 फीसदी लोगों के साथ धोखा किया है और उन्हें इसका परिणाम भुगतना पड़ेगा.
तिवारी ने यह भी कहा कि 'जब तक बीजेपी खत्म नहीं हो जाती' तब तक यह विरोध प्रदर्शन चलता रहेगा. तिवारी ने कहा, आरएसएस प्रमुख को 'मेंटल चेक अप' कराना चाहिए, ताकि वह लोगों का मत समझ सकें.
इस दौरान चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को संबोधित एक ज्ञापन राज्यपाल को सौंपा गया. उत्तर प्रदेश में अगड़ी जातीय समूह पिछले समय से एससी / एसटी अधिनियम संशोधन के खिलाफ विरोध कर रहे हैं. इससे पहले, कानपुर में एक अनूठा विरोध आयोजित किया गया था, जिसमें एक व्यक्ति केंद्र के कदम के खिलाफ भूख हड़ताल पर बैठ गया था.
इस बीच, बाराबंकी जिले में, अगड़ी जातीय समूहों के लोगों ने गांव में पोस्टर लगाए और कहा कि मंत्रियों को नहीं आना चाहिए और वोट मांगना चाहिए. पोस्टर पर छपा था कि, 'अगर इस गांव में कुछ भी अवांछित होता है तो वे खुद के लिए ज़िम्मेदार होंगे.'