मध्य प्रदेश में महिला बाल विकास द्वारा संचालित आंगनबाड़ियों में व्यवस्थाएं पूरी तरह से चरमरा चुकी हैं. पहले भी पोषण आहार को लेकर बड़ी बड़ी बातें होती रहीं लेकिन अभी तक पोषण आहार बांटने की कोई ठोस नीति नहीं बन सकी. पहले निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाने का आरोप और अब सीधे सीधे सरकारी अधिकारियों के भ्रष्टाचार की नई कहानी सामने आ रही है.
सरकारी पैसे की किस तरह से बंदरबांट के आरोप लगे हैं, इसकी बानगी नजर आई राजधानी के शाहजहानाबाद इलाके में, जहां 2 करोड़ के फर्ज़ी बिल लगाकर परियोजना अधिकारियों ने ही सरकारी पैसा अपने खातों में डाल लिया. हैरानी इस बात से है कि चार परियोजना अधिकारियों के साथ फर्ज़ीवा़डे में लेखा विभाग के कर्मचारी भी शामिल थे. इन सभी 14 लोगों को खिलाफ शाहजहानाबाद समेत 4 थानों में अलग अलग प्रकरण दर्ज किए गए हैं.
जानकारी के मुताबिक आंगनवाड़ियों में पोषण आहार और सहायिकाओं के मानदेय का जो पैसा आता था, उसे इन परियोजना अधिकारियों ने फर्ज़ी बिल लगाकर अपने खातों में ट्रांसफर कर लेते थे. ये पहली बार नहीं है जब आंगनवाडियों में फर्ज़ीवाड़े के आरोप लगे हों.
इससे पहले भी सरकार ने विधानसभा में पोषण आहार को लेकर श्वेतपत्र जारी करने का ऐलान किया था, लेकिन अभी तक न तो श्वेतपत्र जारी हुआ और न ही पोषण आहार की कोई नई पारदर्षी व्यवस्था बनाई गई. जाहिर है महिला एवं बाल विकास विभाग भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ता जा रहा है.
सरकारी पैसे की किस तरह से बंदरबांट के आरोप लगे हैं, इसकी बानगी नजर आई राजधानी के शाहजहानाबाद इलाके में, जहां 2 करोड़ के फर्ज़ी बिल लगाकर परियोजना अधिकारियों ने ही सरकारी पैसा अपने खातों में डाल लिया. हैरानी इस बात से है कि चार परियोजना अधिकारियों के साथ फर्ज़ीवा़डे में लेखा विभाग के कर्मचारी भी शामिल थे. इन सभी 14 लोगों को खिलाफ शाहजहानाबाद समेत 4 थानों में अलग अलग प्रकरण दर्ज किए गए हैं.
जानकारी के मुताबिक आंगनवाड़ियों में पोषण आहार और सहायिकाओं के मानदेय का जो पैसा आता था, उसे इन परियोजना अधिकारियों ने फर्ज़ी बिल लगाकर अपने खातों में ट्रांसफर कर लेते थे. ये पहली बार नहीं है जब आंगनवाडियों में फर्ज़ीवाड़े के आरोप लगे हों.
इससे पहले भी सरकार ने विधानसभा में पोषण आहार को लेकर श्वेतपत्र जारी करने का ऐलान किया था, लेकिन अभी तक न तो श्वेतपत्र जारी हुआ और न ही पोषण आहार की कोई नई पारदर्षी व्यवस्था बनाई गई. जाहिर है महिला एवं बाल विकास विभाग भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ता जा रहा है.