बीजेपी को चुभ रहे रावण के बोल, पार्टी पर उल्टा न पड़ जाए रिहाई का दांव!
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बीजेपी को चुभ रहे रावण के बोल, पार्टी पर उल्टा न पड़ जाए रिहाई का दांव!

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    पश्चिमी यूपी में दलितों को जोड़ने के लिए सहारनपुर दंगे के आरोपी भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर उर्फ रावण को रिहा करने का फैसला बीजेपी के लिए घाटे का सौदा साबित हो सकता है। माना जा रहा था कि पश्चिमी यूपी में दलितों में मजबूत पकड़ रखने वाले चंद्रशेखर की रिहाई से बीजेपी बीएसपी के लिए मुसीबत खड़ी करेगी लेकिन जेल से बाहर आने के बाद चंद्रशेखर के बीजेपी विरोधी तेवर देखकर दांव उल्टा पड़ता नजर आ रहा है।
    रावण ने रिहा होने के बाद साफ कर दिया कि अब मिशन बीजेपी को हराना है। उन्होंने यह भी कहा कि गैर-बीजेपी दलों के बनने वाले गठबंधन को संगठन का साथ रहेगा। इतना ही नहीं रावण ने दावा कर दिया कि एक भी दलित बीजेपी के पक्ष में कमल पर वोट नहीं नहीं देता। रावण के ये तीखे बोल बीजेपी को चुभ रहे हैं। इस विरोधी रुख से बीजेपी में फिलहाल सन्नाटा हैं। इसके उलट बीएसपी और दलितों में उत्साह दिख रहा है।
     2017 में साहरनपुर हिंसा के बाद गिरफ्तार किए गए भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर के तेवर जेल से बाहर आने के बाद जिस तरह बीजेपी विरोधी दिखे उसकी उम्मीद भगवा टीम को कम ही थी। दरअसल, बीएसपी का पुख्ता वोटबैंक कहे जाने वाले दलितों ने मोदी लहर में 2014 के आम चुनाव में हाथी की सवारी छोड़ दी थी। उसके बाद 2017 में भी दलितों का बड़ा हिस्सा कमल के फूल पर ही निशान लगाने बूथों पर पहुंचा था।
     पहली बार दलितों ने वोट डालने के बाद बीजेपी का समर्थन करने की खुलकर बात कही थी, लेकिन सरकार बनने के बाद सहारनपुर और शब्बीरपुर हिंसा, दो अप्रैल की वेस्ट यूपी में हिंसा, एससीएसटी ऐक्ट में बदलाव में कमजोर पैरवी के आरोप लगाने से दलित बीजेपी से अलग होने लगे थे। सहारनपुर हिंसा के बाद बीजेपी से दलितों की नाराजगी नगर निकाय चुनाव में साफ दिखी थी। दलित बीजेपी के खिलाफ एकजुट हो गया था।
    कहा जा रहा है कि बीजेपी की प्रदेश कार्यकारिणी बैठक में मेरठ में दलितों को जोड़ने पर सबसे ज्यादा जोर देकर रावण की रिहाई कराकर उनका साथ हासिल करने की रणनीति बनाई गई थी। बीजेपी संगठन के एक सीनियर पदाधिकारी का कहना है कि यह निर्णय हाईकमान का हैं, लेकिन जेल से बाहर आकर जिस तरह रावण बीजेपी के खिलाफ बोल बोल रहा है, उससे नहीं लगता कि वह दलितों को बीजेपी के पक्ष में आने में कोई मदद करेगा या उनको जेल से रिहा करने का कदम फायदेमंद होगा।
    वहीं मायावती के लिए रावण ने साफ कहा कि हमारा उनके साथ कोई विरोध नहीं है। रावण ने कहा, 'वे मेरी बुआ हैं। मैं उनका सम्मान करता हूं।' बीएसपी के कोर्डिनेटर दिनेश काजीपुर का कहना है कि दलितों का सम्मान बीजेपी में कभी नहीं हुआ। दलित सियासी तौर पर एकजुट होकर बहनजी के साथ हैं।

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