क्या अर्णब गोस्वामी के चक्रव्यूह में फंस गई कांग्रेस और सोनिया गांधी?
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क्या अर्णब गोस्वामी के चक्रव्यूह में फंस गई कांग्रेस और सोनिया गांधी?

सोनिया गांधी पर टिप्पणी को लेकर ...पालघर में साधुओं की हत्या की जो मुसीबत उद्धव ठाकरे की थीं, उसे कांग्रेस ने अपने गले में डाला
देश में दर्ज एफआईआर पर सुप्रीम कोर्ट की रोक
   कांग्रेस शासित राज्यों खासकर राजस्थान और छत्तसीगढ़ में कांग्रेस के पदाधिकारी टीवी न्यूज चैनल रिपब्लिक भारत के सम्पादक अर्णब गोस्वामी के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करवा रहे हैं। अब तक दो सौ से भी ज्यदा एफआईआर दर्ज हो चुकी है। जिन कार्यकर्ताओं ने टीवी पर कभी आर भारत चैनल को नहीं देखा, वे भी एफआईआर दर्ज करवा रहे हैं। जाहिर है कि अर्णब गोस्वामी के विरुद्ध एफआईआर के निर्देश दिल्ली से ही जारी हुए होंगे। आरोप है कि महाराष्ट्र के पालघर में हुई दो साधुओं की हत्या के प्रकरण मे अर्णब ने कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी को लेकर प्रतिकूल टिप्पणी की। 
    दर्ज एफआईआर में कहा गया है कि अर्णब ने सोनिया गांधी को हिन्दू विरोधी करार दिया और साधुओं की हत्या पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देने को लेकर सोनिया गांधी पर गंभीर आरोप लगाए। कांग्रेस और सोनिया गांधी इस मुद्दे पर किस तरह मुकाबला करते हैं, यह कांग्रेस के रणनीतिकार तय करते हैं, लेकिन ताजा प्रकरण से प्रतीत होता है कि अर्णब के चक्रव्यूह में कांग्रेस और सोनिया गांधी फंस गए हैं। अर्णब अब सीधे सोनिया गांधी के बराबर आकर खड़े हो गए हैं। यूपीए के शासन में सोनिया गांधी को भारत ही नहीं बल्कि दुनिया की ताकतवर महिला माना गया, लेकिन अब उनका मुकाबला टीवी चैनल के एक सम्पादक से हो रहा है। सोनिया और अर्णब के झगड़े के कारण ही आर भारत न्यूज चैनल की टीआरपी अचानक बढ़ गई है। जो दर्शक गैर कांग्रेसी विचार धारा के हैं वे बड़े चाव से आर भारत को देख रहे हैं, जबकि कांग्रेसी विचार धारा के लोगों को मजबूरी में अब इस चैनल को देखना पड़ रहा है। चूंकि पालघर में दो साधुओं की हत्या से संत समाज में भी नाराजगी है, इसलिए साधु-संतों का समर्थन भी अर्णब और उनके चैनल को मिल गया है। 24 अप्रैल को अयोध्या के तपस्वी छावनी के महंत परंमहंस दास महाराज आमरण अनशन पर बैठ गए हैं। 
     परमहंस महाराज का कहना है कि एक ओर साधुओं की हत्या की जा रही है तो दूसरी ओर साधुओं का समर्थन करने वाले पत्रकार अर्णब गोस्वामी पर कांग्रेस हमले करवा रही है। 22 अप्रैल की रात को मुम्बई में अर्णब पर हमला भी हुआ। अर्णब इस हमले के लिए सीधे सोनिया गांधी को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। 16 अप्रैल को पालघर में हुई साधुओं की हत्या के लिए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ही निशाने पर थे। चूंकि ठाकरे की सरकार कांग्रेस और एनसीपी के समर्थन से चल रही है, इसलिए भाजपा भी ठाकरे को ही कटघरे में खड़ा कर रही थी। 
    इस मुद्दे को आगे बढ़ाते हुए अर्णब ने सोनिया गांधी द्वारा घटना की निंदा नहीं किए जाने का मामला भी उछाल दिया। सोनिया गांधी द्वारा साधुओं की हत्या की निंदा नहीं किए जाने पर अर्णब ने जो चक्रव्यूह बनाया उसमें कांग्रेस और सोनिया गांधी फंस गए। अब तक जो मुसीबत उद्धव ठाकरे की थी, उसे कांग्रेस ने अपने गले में डाल लिया है। चूंकि आर भारत चैनल देश में सबसे ज्यादा देखे जाने वाला न्यूज चैनल हो गया है, इसलिए अर्णब अपने चक्रव्यूह में कांग्रेस को उलझाते ही जा रहे हैं। सोनिया गांधी द्वारा साधुओं की हत्या की घटना की निंदा अभी तक नहीं किए जाने का मामला भी कांग्रेस पार्टी के लिए सिरदर्द बन गया है। देश के आम नागरिक के मन में यह सवाल तो उठता ही है कि आखिर सोनिया गांधी पालघर की घटना की निंदा क्यों नहीं कर रही है? जबकि ऐसी मॉबलिंचिंग की अन्य घटनाओं पर सोनिया गांधी ने तत्काल प्रतिक्रिया दी है।
एफआईआर पर सुप्रीम कोर्ट की रोक
    24 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने देश भर में दर्ज उन सभी एफआईआर की क्रियान्विति पर रोक लगा दी है, जो अर्णब गोस्वामी के विरुद्ध दर्ज करवाई गई थी। अर्णब की ओर से एडवोकेट मुकुल रोहतगी और सिद्धार्थ भटनागर ने पैरवी करते हुए कहा कि ऐसी एफआईआर राजनीतिक द्वेषता की वजह से दर्ज करवाई गई है। चूंकि सभी एफआईआर में एक ही आरोप है इसलिए किसी एक अदालत में सुनवाई होनी चाहिए। कोर्ट ने दर्ज एफआईआर पर रोक लगाते हुए अर्णब को निर्देश दिए हैं कि वे अग्रिम जमानत के लिए संबंधित कोर्ट में प्रार्थना पत्र दाखिल कर सकते हैं। इस मामले में महाराष्ट्र की ओर से कपिल सिब्बल, राजस्थान की ओर से मनीष सिंघवी, छत्तसीगढ़ की ओर से विवेक तनखा ने अर्णब के विरुद्ध पैरवी की। कोर्ट के निर्णय पर अर्णब ने कहा कि यह देश के आम व्यक्ति की जीत है। उन्होंने कहा कि उनके चैनल ने पालघर की हत्या कांड का पर्दाफाश किया है और आगे भी ऐसी ही निष्पक्ष पत्रकारिता करता हू।

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