मुन्ना भाइयों का नेटवर्क ध्वस्त, 40 दिन में बनते थे इंजीनियर, डॉक्टर और अकाउंटेंट
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मुन्ना भाइयों का नेटवर्क ध्वस्त, 40 दिन में बनते थे इंजीनियर, डॉक्टर और अकाउंटेंट

देश की 16 यूनिवर्सिटी के नाम पर बड़ा फर्जीवाड़ा, 
छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश समेत कई राज्यों में इस गिरोह के तार, 
यूनिवर्सिटी और शैक्षणिक संस्थानों के कर्मी भी शक के दायरे में, जाँच में जुटी पुलिस
    मोहाली/पंजाब।। सरकारी नौकरी में जैसे - जैसे कॉम्पिटिशन बढ़ता जा रहा है वैसे - वैसे देश में नौकरी पाने के शार्ट कट तरीके भी बढ़ने लग गए है। ऐसे में फ़र्ज़ी तरीके से नौकरी दिलाने वाले गेंग भी तेज़ी से सक्रीय हो गए है। तो कुछ गेंग बिना पढ़े ही डिग्री को मुहैया करवाने के काम में लग गए है। हाल ही में देश की कई नामी गिरामी यूनिवर्सिटी के नाम पर बड़ा गोरखधंधा सामने आया है। एक गिरोह कुछ दिनों के भीतर ही इंजीनियर, डॉक्टर और अकाउंटेंट की डिग्री मुन्ना भाइयो को सौप देता था।  
     ये गिरोह स्कूल और कॉलेज की पढाई की मार्कशीट भी अपने ग्राहकों को देता था। बताया जाता है कि इस डिग्री के सहारे देश के कई सरकारी और गैर सरकारी संस्थानों में मुन्ना भाइयो की एंट्री हो चुकी है। पंजाब के मोहाली में पुलिस ने इस गिरोह का पर्दाफाश किया है। ये गिरोह कम पढ़े-लिखे व स्टडी गैप वाले युवकों से मोटी रकम लेकर उन्हें प्रसिद्ध यूनिवर्सिटी और संस्थानों की फर्जी डिग्रियां मुहैया करवाता था।
    इस गिरोह का पर्दाफाश कर पुलिस ने उन ग्राहकों की तलाश शुरू कर दी है, जो मुन्ना भाई की तर्ज पर नौकरी में है। गिरोह के शातिर पढाई की निर्धारित अवधि में नहीं, बल्कि 30-40 दिन में ही युवकों को इंजीनियर, डॉक्टर, अकाउंटेंट, एमबीए, बीटेक, एमटेक की फर्जी डिग्रियां सौंप देते थे। इस गिरोह का नेटवर्क पूरे देश में फैला हुआ है। ये शातिर गिरोह पंजाब, हिमाचल, यूपी, हरियाणा, दिल्ली, महाराष्ट्र, झारखण्ड, पश्चिमबंगाल, बिहार, उड़ीसा, राजस्थान, असम, अरुणाचल प्रदेश, गुजरात, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों में स्थित 16 सरकारी और निजी यूनिवर्सिटी की फर्जी डिग्रियां जारी कर रहे थे। इनसे बड़ी संख्या में पुलिस ने जाली दस्तावेज, मुहर, होलोग्राम, कंप्यूटर और अन्य उपकरण बरामद किए हैं। पुलिस ने इस गिरोह के पांच शातिर गिरफ्तार किए हैं।
    शातिरों की पहचान निर्मल सिंह निम्मा गांव करतारपुर थाना मुल्लांपुर गरीबदास, विष्णु शर्मा निवासी निधि हाई कॉलोनी मथुरा (यूपी), सुशांत त्यागी, संचालक वीर फाउंडेशन डिस्टेंस एजुकेशन मेरठ और आनंद विक्रम सिंह निवासी सेक्टर-2, वैशाली गाजियाबाद (यूपी), अंकित अरोड़ा, निवासी फतेहपुर, सियालवा, मोहाली के रूप में हुई है।
    पुलिस की माने तो इस गिरोह का नेटवर्क देश के कई राज्यों में सुनियोजित रूप से चलाया जा रहा था। उसके मुताबिक ग्राहकों को 10 हजार से लेकर 1 लाख रूपए तक तमाम डिग्री कोर्स की मार्कशीट और अन्य दस्तावेज सौप दिए जाते थे। ये हुबहु असली नजर आते थे। पुलिस के मुताबिक इस गिरोह के जरिये नौकरी में लगे मुन्ना भाइयो की तलाश भी शुरू कर दी गई है।

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