विश्व का सबसे पुराना सूर्य मंदिर, एक ही रात में किया गया था तैयार!

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    अल्मोड़ा/उत्तराखण्ड।। कटारमल सूर्य मन्दिर, भारत का क्या विश्व का सबसे पुराना सूर्य मंदिर माना जाता है। यह पूर्वाभिमुखी है तथा उत्तराखण्ड राज्य में अल्मोड़ा जिले में स्थित है। हम में से ज्यादातर लोग कोणार्क के सूर्य मंदिर से परिचित होंगे जो कि उडिशा में है। यह मंदिर उससे भी ज्यादा प्राचीन है और वर्तमान समय में पुरातत्व संरक्षण अधिनियम के तहत संरक्षित है। 
शिखर स्थापित होना रह गया था शेष 
   बताते हैं कि यह मंदिर एक ही रात में तैयार किया गया है। सूर्य की पहली किरण जिस समय पड़ी उस समय तक इसका शिखर स्थापित होना शेष रह गया था अतः शिखर स्थापित नहीं हो पाया और वह शिखर मंदिर प्रांगण में ही रखा हुआ है। 
छठीं से नवीं शताब्दी में हुआ था निर्माण
   आप सोचिये कि इतने विशाल पत्थरों को जोड़ने के लिए किन चीजों का प्रयोग किया गया होगा। बताया जाता है कि उड़द की दाल एवं अन्य पदार्थों के मिश्रण से पत्थरों को जोड़ने का कार्य किया गया। इसका निर्माण कत्यूरी राजवंश के तत्कालीन शासक कटारमल के द्वारा छठीं से नवीं शताब्दी में हुआ था। यह कुमांऊॅं के विशालतम ऊँचे मन्दिरों में से एक व उत्तर भारत में विलक्षण स्थापत्य एवम् शिल्प कला का बेजोड़ उदाहरण है। 
मंदिर निर्माण के पीछे यह है मान्यता 
    मान्यता है कि जब असुरों के अत्याचार बढ़ गए तब देवभूमि के ऋषियों ने यहां मंदिर के बगल में बहने वाली कौशिकी (कोसी नदी) के तट पर आकर सूर्य-देव की स्तुति की। ऋषि मुनियों की स्तुति से प्रसन्न होकर सूर्य-देव ने अपने दिव्य तेज को वटशिला में स्थापित कर दिया। इसी वटशिला पर कत्यूरी राजवंश के शासक कटारमल ने बड़ादित्य नामक तीर्थ स्थान के रूप में प्रस्तुत सूर्य-मन्दिर का निर्माण करवाया होगा, जो अब कटारमल सूर्य-मन्दिर के नाम से प्रसिद्ध है।

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