जो सेनानी पच्चीस फुट बर्फ के नीचे छह दिन तक जीवित रहा, उसने हर तरह की चिकित्सा सुविधा वाले मिलेट्री अस्पताल में आखिरकार दम तोड़ दिया। देश पर अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले हनुमनथप्पा को शत शत नमन। दोपहर पूर्व ग्यारह बजकर पैंतालीस मिनट पर उसने अंतिम सांस ली। उसमें देश के लिए जीने और कुछ बड़ा करने का अदम्य साहस और इच्छा थी, जिसके बल पर वह सियाचीन में बर्फ के भीतर भी जिंदा रहा। ऐसे ही वीर सेनानियों के बल पर हम सब चैन की नींद सो पा रहे हैं। देश के इस सपूत पर हर भारतीय को गर्व है। देश का असली हीरो चला गयादेश का असली हीरो चला गया
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जो सेनानी पच्चीस फुट बर्फ के नीचे छह दिन तक जीवित रहा, उसने हर तरह की चिकित्सा सुविधा वाले मिलेट्री अस्पताल में आखिरकार दम तोड़ दिया। देश पर अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले हनुमनथप्पा को शत शत नमन। दोपहर पूर्व ग्यारह बजकर पैंतालीस मिनट पर उसने अंतिम सांस ली। उसमें देश के लिए जीने और कुछ बड़ा करने का अदम्य साहस और इच्छा थी, जिसके बल पर वह सियाचीन में बर्फ के भीतर भी जिंदा रहा। ऐसे ही वीर सेनानियों के बल पर हम सब चैन की नींद सो पा रहे हैं। देश के इस सपूत पर हर भारतीय को गर्व है। देश का असली हीरो चला गया