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राजीव गांधी की श्री लंका में जान बचाने वाला सैनिक आज ईट के भट्ठे पर मजदूरी करने को मजबूर

     कुछ माह पूर्व यह पोस्ट मैंने किया था और ओ पोस्ट करीब 259 के लगभग शेयर भी हुई थी फिर भी इस नकली परिवार और उसके गुलामो तक नहीं पहुंची, आज फिर से प्रयास कर रहा हु ।
    हरियाणा महेंद्रगढ़ की कनीना तहसील के गांव पोटा निवासी भरत सिंह ने श्रीलंका दौरे के समय भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी को श्रीलंकाई सैनिक द्वारा राइफल का बट मारने की रची गई साजिश को नाकाम कर दिया था । और राजीव गांधी की जान अपने जान पर खेलते हुए बचाई थी । इन्हे शांति पुरूस्कार तो मिला पर इनके परिवार के पेट को सन्ति नहीं मिली क्योकि इन्हे आज तक पेंसन भी नहीं मिल रही है भारत सरकार की तरफ से ।
     मीडिया के सामने यह दर्द उस वक्त सामने आया जब हांसी के इतिहासकार जगदीश सैनी ने अपने प्लाट पर निर्माण कार्य शुरू किया । कार्य के दौरान मिस्त्री ने एक मजदूर को कौजी कहकर पुकारा ।
     इस पर जगदीश सैनी ने कौजी पुकारे जाने वाले से पूछा कि आप को कौजी क्यों कहते हैं ? इतना कहते ही यह पूर्व सैनिक रो पड़ा और रोते हुए अपनी जो दास्तां सुनाई उसे सुनकर हर किसी के रोंगटे खड़े हो गए ।
    भरत सिंह हिसार के हांसी कस्बे में इतिहासकार जगदीश सैनी के निर्माणाधीन प्लाट पर ईंटें ढो रहे है। इतिहासकार जगदीश सैनी ने सरकार और सेना से गुहार लगाई है कि देश के इस बहादुर पूर्व सैनिक की सुध ली जाए और उससे धोखा करने वालों पर कार्रवाई करके उसका हक दिलाया जाए ।
   पर इस नकली गाँधी परिवार के कानो में आज तक जू तक नहीं रेगा । अब जब इनके सिर पर जू ही नहीं है तो रगेगा कैसे ?
    ये परिवार जब अपने पिता - पति की जान बचाने वाले को अधिकार नहीं दिला पाया तो ये रायबरेली और अमेठी वालो के लिए क्या करेगा ?  सिर्फ बेकूफ बनाएगा।