14 वर्षीय बच्चे ने मछुआरों को रास्ता दिखने के लिए बनाई एप, गूगल ने दिया 10 हज़ार डॉलर का इनाम

     अदवय रमेश की उम्र मात्र 14 साल है लेकिन कारनामा 41 साल वाला किया है. इन्होंने एक ऐसी एप बनाई है, जो खासकर मछुआरों के लिए बनाई गई है. यह एप जीपीएस पर आधारित है जो समंदर में मछुआरों को सही रास्ता बताने का काम करेगी. इस काम के लिए अदवय को गूगल ने 'कम्यूनिटी इंपैक्ट रिवॉर्ड' से सम्मानित किया. इसके तहत 10,000 डॉलर का रिवॉर्ड दिया गया.
     इस एप का नाम FELT (FishErmen Lifeline Terminal) है. अदवय रमेश चेन्नई के रहने वाले हैं. रामेश्वरम समंदर के किनारे होने के कारण एक ऐसी जगह है, जहां हर माह कई मछुआरे लापता हो जाते हैं. हिंद महासागर की समुद्री सीमा यहां श्रीलंका के साथ लगती है. इसी कारण को ध्यान में रखते हुए अदवय ने यह एप बनाया है.
     अदवय कहते हैं कि, “एक तरह से यहां मछलियां पकड़ने के लिए काफ़ी कम जगह है क्योंकि इंटरनेशनल मैरीटाइम बाउंड्री श्रीलंका के साथ यहां लगती है. इस एप पर यकीन कर मछुआरे श्रीलंका की सीमा से उचित दूरी पर रह सकेंगे.”
     मछुआरों की चिंताओ को ध्यान में रखते हुए अदवय ने इसरो के साथ मिलकर काम करना शुरू किया. इसका नतीजा यह रहा कि अदवय ने लोकेशन और नेवीगेशन की यह एप बनाई.
     FELT नाम की इस जीपीएस पावर्ड एप Indian Regional Navigation Satellite System (IRNSS) के साथ-साथ इसका Standard Position System इसरो द्वारा प्रोवाइड करवाया गया है.
      भविष्य में अदवय इंडियन मैरीटाइम बाउंड्री के लिए एक ट्रैकिंग सिस्टम इससे जोड़ने वाले हैं. अदवय इसे सिर्फ़ मछुआरों की सुरक्षा के लिए ही नहीं, बल्कि उनके उत्पाद को बढ़ाने के लिए भी उपयोग में लाने वाले हैं.
    इसके साथ-साथ अदवय गूगल के उन 20 फाइनलिस्ट की सूची में आ गये हैं, जिनका नाम गूगल साइंस फेयर 2016 के लिए भेजा गया है. इसके तहत 50,000 डॉलर का इनाम मिलता है.

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !
To Top