
बिजनेस स्टैंडर्ड में छपी रिपोर्ट के मुताबिक पर्यावरण संबंधित नियमों के उल्लंघन के लिए लगाया गया यह सबसे बड़ा जुर्माना था। खबर के मुताबिक, इसके अलावा भी कंपनी के गुजरात के मुंद्रा स्थित वाटरफ्रंट डेवलपमेंट प्रोजेक्ट को 2009 में पर्यावरण मंत्रालय की ओर से क्लीयरेंस मिला था, उसे और बढ़ा दिया गया है। साथ ही, कंपनी को जारी कई नोटिस को भी वापस ले लिया गया है।