बिहार के वैशाली जिले के सराय में समाज और प्रशासन का असंवेदनशील चेहरा सामने आया है. तेजाब कांड की पीड़िता मधु को मिल रहे तानो से वह इतनी डिप्रेश हुई की उसे तानो को सुनने से ज्यादा आसान मौत को गले लगाना समझा. घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस ने घटनास्थल पर पहुंचकर शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल भेजा दिया है.2014 मे कोचिंग जाने के क्रम मे मधु पर पड़ोस के कुछ मनचलों ने तेजाब फेंक दिया था. मामले में पुलिस ने दो आरोपी को पकड़कर जेल भेज दिया था. इसमें से एक आरोपी को कोर्ट ने जमानत दे दिया था. लेकिन इलाज के बाद घर लौटी मधु कुमारी के शरीर पर जले का दाग आ चुका था . जिसको लेकर आये दिन आसपरोस के लोग मधु को ताना दिया करते थे कि अब इस लड़की से शादी कौन करेगा. यह सुन-सुन कर मधु डिप्रेशन मे आती गई. अंततः तानो से परेशान होकर मधु ने आत्महत्या कर ली.
एसिड अटैक पीड़िता के साथ समाज का असंवेदनशील चेहरा उसकी मौत का कारण बना तो इस घटना में पुलिस का भी असंवेदनशील चेहरा देखने को मिला. इस पूरी घटना की छानबीन के बाद पुलिस ने बताया कि कोई मामला नही है. इस संवेदनशील मामले मे लोगों की सोंच के साथ पुलिस का यह वयान भी हैरान कर देने वाला है.
ऐसे मामले अकसर हमारे सामने सवाल खड़ा कर देती है कि क्या ऐसे मामलों में आरोपियों के खिलाफ एसिड की धाराओं से आगे बढ़ते हुए सीधे हत्या का मुकदमा नहीं दर्ज किया जाना चाहिए और क्या ऐसा समाज आत्महत्या के लिए उकसाए जाने का दोषी नहीं है ?
