
इस दिन तिरंगा बना देश का झंडा . . .
22 जुलाई 1947 को संविधान सभा की बैठक में तिरंगे को देश के झंडे के रूप में स्वीकार किया गया।
इसमें तीन समान चौड़ाई की क्षैतिज पट्टियां हैं, जिनमें सबसे ऊपर केसरिया, बीच में श्वेत ओर नीचे गहरे हरे रंग की पट्टी है। ध्वज की लम्बाई एवं चौड़ाई का अनुपात 2:3 है। सफेद पट्टी के बीच में गहरे नीले रंग का एक चक्र है जिसमें 24 तिल्लियां हैं। इस चक्र का व्यास लगभग सफेद पट्टी की चौड़ाई के बराबर होता है व रूप सम्राट अशोक की राजधानी सारनाथ में स्थित स्तंभ के शेर के शीर्षफलक के चक्र में दिखने वाले की तरह होता है।
इन्होंने किया था तिरंगे को डिजाइन. . .
तिरंगे को पिंगली वैंकेया ने डिजायन किया था।2 अगस्त 1876 को आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में जन्मे पिंगली भी स्वतंत्रता संग्राम में शामिल थे। पिंगली वेंकैया ने एक ऐसे ध्वज की कल्पना की जो सभी भारतवासियों को एक सूत्र में बांध दे। उनकी इस पहल को एस.बी. बोमान जी और उमर सोमानी जी का साथ मिला और इन तीनों ने मिल कर नेशनल फ्लैग मिशन का गठन किया। वेंकैया ने राष्ट्रीय ध्वज के लिए महात्मा गांधी से सलाह ली और गांधी जी ने उन्हें इस ध्वज के बीच में अशोक चक्र रखने की सलाह दी जो संपूर्ण भारत को एक सूत्र में बांधने का संकेत बने। उन्होंने 5 सालों तक 30 देशों के झंडों पर रिसर्च किया और इस रिसर्च के नतीजे के तौर पर भारत को राष्ट्रध्वज तिरंगा मिला।
ऐसा झंडा गांधीजी को नहीं आया पसंद . . .
साल 1921 में पिंगली वैंकेया ने एक झंडा तैयार किया। जिसमें हरे और लाल रंग का इस्तेमाल किया गया था जिसके बीच में अशोक चक्र था। गांधीजी को यह झंडा पसंद नहीं आया। उनका मानना था कि यह झंडा ऐसा नहीं जो पूरे राष्ट्र का प्रतिनिधित्व सके। अंत में 1931 को एक कमेटी बनाई गई जो अखिल भारतीय कांग्रेस के झंडे के लिए काम कर रही थी। इधर पिंगली वैंकेया ने एक और ध्वज तैयार किया जिसमें केसरिया, सफेद और हरे रंग की पट्टियां थीं और बीच में अशोक चक्र बना हुआ था। जिसे सहमति मिल गई।
""तिरंगे की इस एतिहासिक
कहानी के साथ आप सभी को स्वतंत्रता
दिवस की हार्दिक शुभकामनायें ""