ऐसा माना जाता है कि श्रीलंका के सुदूर इलाके में मौजूद ‘श्रीपद’ नाम की
जगह पर स्थित पहाड़ ही वह पहाड़ है जो द्रोणागिरी का एक टुकड़ा था और जिसे
उठाकर हनुमानजी ले गए थे।
इस जगह को ‘एडम्स पीक’ भी कहते हैं। श्रीलंका के दक्षिणी तट गाले में एक
बहुत रोमांचित करने वाली इस पहाड़ को श्रीलंकाई लोग रहुमाशाला कांडा कहते
हैं। हालांकि कुछ लोग कहते हैं कि वह द्रोणागिरी का पहाड़ था। द्रोणागिरी
हिमालय में स्थित था।
कहते हैं कि हनुमानजी हिमालय से ही यह पहाड़ उठाकर लाए थे बाद में उन्होंने
इसे को यहीं छोड़ दिया। मान्यताओं के अनुसार यह द्रोणागिरी पहाड़ का एक
टुकड़ा है।
रहुमाशाला कांडा पहाड़ का अपना पौराणिक इतिहास रहा है। कहते हैं राम-रावण
युद्ध के दौरान मेघनाद के वार से लक्ष्मणजी मूर्छित होकर मरणासन्न हो गए
थे। उनकी जान बचाने के लिए संजीवनी बूटी की जरूरत पड़ी तो बूटी को लाने का
काम रामभक्त हनुमान को दिया गया। हनुमान हिमालय की कंदराओं में संजीवनी
बूटी खोजते रहे, लेकिन उन्हें कुछ समझ नहीं आया तो वह द्रोणागिरी पहाड़ के
एक टुकड़े को ही ले आए। मान्यताओं के अनुसार यह वहीं पहाड़ है। इस पहाड़ पर
एक मंदिर बना है। मंदिर भी एक खास चीज के लिए प्रसिद्ध है। यहां पर एक
देवता के पैरों के निशान हैं। हिंदू मान्यता अनुसार यह देवों के देव महादेव
शंकर के पैरों के निशान है। इसीलिए इस स्थान को सिवानोलीपदम यानि शिव का
प्रकाश भी कहा जाता है। यहां 2,224 मीटर की ऊंचाई पर स्थिित इस ‘श्रीपद’ के
दर्शन के लिए लाखों भक्त और सैलानी आते हैं। यहां से एशिया का सबसे अच्छा
सूर्योदय भी देखा जा सकता है।