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क्या आप को पता है मृत्यु भोज भी अपराध की श्रेणी में आता है ?

Image may contain: one or more people, text and outdoorराजस्थान के बाद क्या उत्तर प्रदेश और अन्य राज्य ये कानून बनायेंगे ? ? ?
     मृत्‍यु-भोज जिसमें, गंगा-प्रसादी इत्‍यादि शामिल है अब ”राजस्‍थान मृत्‍यु-भोज निषेध अधिनियम 1960” के तहत दण्‍डनीय अपराध हो गया है।
मृत्‍यु-भोज की कानून में परिभाषा :-
     राजस्‍थान मृत्‍यु-भोज निषेध अधिनियम की धारा 2 में लिखा है कि किसी परिजन की मृत्‍यु होने पर, किसी भी समय आयोजित किये जाने वाला भोज, नुक्‍ता, मौसर, चहलल्‍म एवं गंगा-प्रसादी मृत्‍युभोज कहलाता है कोई भी व्‍यक्ति अपने परिजनों या समाज या पण्‍डों, पुजारियों के लिए धार्मिक संस्‍कार या परम्‍परा के नाम पर मृत्‍यु-भोज नही करेगा। 
मृत्‍यु-भोज करने व उसमें शामिल होना अपराध है :-

   धारा 3 में लिखा है कि कोई भी व्‍यक्ति मृत्‍यु-भोज न तो आयोजित करेगा न जीमण करेगा न जीमण में शामिल होगा न भाग लेगा।
मृत्‍यु-भोज करने व कराने वाले की सजा व दण्‍ड :-
    धारा 4 में लिखा है कि यदि कोई व्‍यक्ति धारा 3 में लिखित मृत्‍यु-भोज का अपराध करेगा या मृत्‍यु-भोज करेन के लिए उकसायेगा, सहायता करेगा, प्रेरित करेगा उसको एक वर्ष की जेल की सजा या एक हजार रूपये का जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जायेगा ।
मृत्‍यु-भोज पर कोर्ट से स्‍टे लिया जा सकता है :-
    धारा 5 के अनुसार यदि किसी व्‍यक्ति या पंच, सरपंच, पटवारी, लम्‍बरदार, ग्राम सेवक को मृत्‍यु-भोज आयोजन की सूचना एवं ज्ञान हो तो वह प्रथम श्रेणी न्‍यायिक मजिस्‍ट्रेट की कोर्ट में प्रार्थना-पत्र देकर स्‍टे लिया जा सकता है पुलिस को सूचना दे सकता है । पुलिस भी कोर्ट से स्‍टे ले सकती है एवं नुक्‍ते को रूकवा सकती है। सामान को जब्‍त कर सकती है।
कोर्ट स्‍टे का पालन न करने पर सजा :-
    धारा 6 में लिखा है कि यदि कोई व्‍यक्ति कोर्ट से स्‍टे के बावजूद मृत्‍यु-भोज करता है तो उसको एक वर्ष जेल की सजा एवं एक हजार रूपये के जुर्माने या दोनों से दण्डित किया जायेगा।
    सूचना न देने वाले पंच-सरपंच-पटवारी को भी सजा के प्रावधान इसमें सम्मिलित है।