– जनता क्वार्टर में रहने वाले रामसिंह अर्धशासकीय स्कूल में शिक्षक हैं। वे 1988 में इस कॉलोनी में रहने आए। चार-पांच साल बाद से ही अप्रैल-मई में यहां के बोर और कुएं पूरी तरह सूखने लगे।
– तब यहां निगम की वाटर सप्लाई नहीं थी। ऐसे में गर्मी में लोग टैंकरों के भरोसे ही रह गए। ऐसे में टीचर कैवर्त ने हार्वेस्टिंग सिस्टम पर काम शुरू किया।
– सबसे पहले उन्होंने घर के पास एक प्लाट का कचरा साफ करवाया और वहां 18 फीट गहरा गड्ढा करवा दिया।
– कुएं के आकार के इस गड्ढे के किनारे कंक्रीट रिंग और सीमेंट-ईंट से बनाई गई। इसी में अलग-अलग दिशा में छेद करते हुए पाइप लगाए गए।
– सड़क और आसपास का पानी इन्हीं पाइप के पास आए, इसका रास्ता भी बना दिया। पाइप में छन्नियां लगा दी गईं।
– इसके बाद गड्ढे में 10 फीट ऊंचाई तक गिट्टी और नारियल के छिलके डलवाए, ताकि जो पानी पाइप से नहीं छन पाए,इनसे छनकर नीचे जाए।
सिर्फ पांच हजार खर्च
– रामसिंह ने बताया कि 1999 में उन्होंने इस देशी हार्वेस्टिंग सिस्टम को बनाने के लिए गड्ढा कराया था। इसके बाद ईंट, सीमेंट और कंक्रीट रिंग लगाने में करीब 5 हजार रुपए खर्च हुए।
– साल में एक बार इस गड्ढे की सफाई और मरम्मत की जाती है। इसमें न कोई मशीनरी लगती है, और न ही दूसरा खर्च। यह लाइफ टाइम चलने वाला वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम है, जिससे पूरी कालोनी लाभान्वित हो रही है।
बरसों से नहीं सूखे कुएं
– इस सिस्टम ने पहले ही साल असर दिखाया। छतों से गिरकर सड़क पर बहनेवाला आसपास का बारिश का पूरा पानी बनाए गए नालीनुमा रास्तों से बाहर निकाले गए पाइप के जरिए कुओं में गिरने लगा।
– इस सिस्टम की वजह से पिछले कई साल से आसपास के बोर और कुएं गर्मी में नहीं सूखे हैं। लोगों के आग्रह पर अब पाइप दूर तक बिछाने की तैयारी है, ताकि दूसरी सड़क का पानी भी यहां अआए।
– कॉलोनी के प्रहलादनाथ अग्रवाल और पीतांबर परिछा के मुताबिक इससे काफी वर्षाजल संचित होता है, जिसका लाभ मिल रहा है।