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यहाँ है गुड़ियों का रहस्यमय द्वीप

आप सब जानते हैं गुड़िया छोटे बच्चों का प्रिय खिलौना होती है. रोते बच्चे को अगर गुड़िया दे दी जाय तो बच्चा प्रायः चुप हो जाता है और गुड़िया से खेलने लगता है. गुडिया का अस्तित्व मानव सभ्यता से रहा है. गुडिया मानव आकृति का छोटा प्रतिरूप होती है. हालाँकि कुछ लोगों ने गुड़िया का भयानक प्रतिरूप भी बनाया. कई फिल्म और धारावाहिकों ने गुडिया जैसे मासूम खिलौनों को प्रेतात्मा और खलनायक तक बना डाला. ऐसी फिल्मे भी आ चुकी हैं जिसमे एक गुड़िया पूरे परिवार के मौत का कारण बनती है. आज हम एक ऐसे टापू की बात करेंगे जो डरावनी गुड़ियों से भरा हुआ है. जिधर नज़र डालो बस गुड़िया ही गुड़िया. यह टापू मैक्सिको के टेस्युहीलो झील के किनारे स्थित है. यह ऐसा टापू है अगर आप वहां रात को पंहुचें तो महसूस होगा आप किसी हारर या डरावनी फिल्म के सेट पर आ गये हैं, या आप किसी भूतिया माहौल में आ गये हैं. ला इस्ला डे लाम्युनेकास एक स्पेनिश वाक्य है जिसका अर्थ है आइलैंड आफ डाल्स यानि गुड़ियों का द्वीप. मैक्सिको शहर के दक्षिण में नहरों से घिरा यह टापू पर्यटकों को अपने रहस्य और अनोखेपन के लिए आकर्षित करता है. मैक्सिको से करीब १८ मील दूर इस द्वीप पर हर स्थान पर टूटी फूटी, पुरानी, डरावनी शक्ल और अजीबो गरीब शक्ल की गुड़ियाँ पेड़ों पर ऊँचे नीचे लटकी मिलेंगी. इनकी तरफ आप देखेंगे तो लगेगा यह आपको घूर रही हैं. आप महसूस करेंगे जैसे इनकी इस हालत के ज़िम्मेदार आप ही हैं. इस रहस्यमयी टापू के बारे में बताया जाता है सन १९५० से पहले इस द्वीप की हालत ऐसी नही थी. इसी साल मैक्सिको निवासी डान जूलियाना सैंटाना इस द्वीप पर केयर टेकर की हैसियत से आकर रहने लगा. वह यहाँ अपने परिवार और बच्चो को छोड़ अकेले रहता था. यद्यपि वह विवाहित था लेकिन अपने आगे की जिंदगी उसने इसी टापू पर एकाकी ही बिताने का निर्णय लिया. वह इस टापू की देखभाल करने लगा और यहीं पर फल और सब्जियां उगाकर उनकी बिक्री करके अपना गुज़ारा करने लगा. समय अपनी गति से चलता रहा. एक बार की बात है कुछ बच्चे इस टापू पर घूमने आये. उन बच्चो में एक प्यारी सी छोटी बच्ची थी. यह बच्ची दूसरे बच्चो के साथ खेलते हुए नहर में डूब गयी. जूलियाना ने जब बच्ची की डूबते देखा तो उसने नहर में छलांग लगा दी और उस प्यारी सी बच्ची को बचाने का प्रयास किया लेकिन वह उसे बचा न सका. इस घटना ने जूलियाना के मष्तिष्क पर गहरा प्रभाव छोड़ा. वह बच्ची को न बचा सकने की आत्मग्लानि और पश्चाताप में डूब गया. इस घटना के एकाध दिन बाद उस नहर में कहीं से एक गुड़िया तैरती हुई आयी. जूलियाना ने उस गुड़िया को नहर से निकाला और उसे पेड़ पर लटका दिया. जुलियाना के मुताबिक उस बच्ची की आत्मा उससे रात में बात भी करती थी. इसके बाद तो जुलियाना सब्जी फल बेच कर गुड़िया खरीदने लगा और उन्हें क्षत विक्षत करके पेड़ों, रस्सियों पर टांगने लगा. उसे लगता कि इस काम से उस छोटी बच्ची की आत्मा की शांति मिलेगी. उसकी आत्मा की शांति के लिए जूलियाना ने एक झोपड़ीनुमा घर भी बनवाया. इस झोपड़ी के दरवाजों, दीवारों, खंभों पर भी उसने रस्सी के सहारे गुड़ियों को लटकाया. एक समय ऐसा भी आया जहाँ भी नज़र डालो बस डरावनी खौफनाक गुड़िया ही गुड़िया. सन २००१ में जूलियाना की उसी टापू पर मृत्यु हुई. कहते हैं जूलियाना की मृत्यु भी उसी नहर वहीं हुई थी जहाँ डूबने से उस बच्ची की मृत्यु हुई थी. आज यह टापू गुड़ियों के टापू के नाम से मशहूर है और बहुत से पर्यटक इन गुड़ियों को देखने आते है.