
शास्त्रों और पुराणों में असाध्य रोगों से मुक्ति और अकाल मृत्यु से बचने के लिए महामृत्युंजय जप करने का विशेष उल्लेख मिलता है। महामृत्युंजय भगवान शिव को खुश करने का मंत्र है। इसके प्रभाव से इंसान मौत के मुंह में जाते-जाते बच जाता है, मरणासन्न रोगी भी महाकाल शिव की अद्भुत कृपा से जीवन पा लेता है। बीमारी, दुर्घटना, अनिष्ट ग्रहों के प्रभावों से दूर करने, मौत को टालने और आयु बढ़ाने के लिए सवा लाख महामृत्युंजय मंत्र जप करने का विधान है। महामृत्युंजय मंत्र का जप करना परम फलदायी है, लेकिन इस मंत्र के जप में कुछ सावधानियां बरतना चाहिए जिससे कि इसका संपूर्ण लाभ आपको मिले और आपको कोई हानि न हो। अगर आप नही कर पा रहे इस मंत्र का जाप जो किसी पंडित से जाप कराए यह आपके लिए और अधिक लाभकारी होगा। जानिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते वक्त किस बातों का ध्यान रखना चाहिए।महारूद्र सदाशिव को प्रसन्न करने व अपनी सर्वकामना सिद्धि के लिए यहां पर पार्थिव पूजा का विधान है, जिसमें मिटटी के शिर्वाचन पुत्र प्राप्ति के लिए, श्याली चावल के शिर्वाचन व अखण्ड दीपदान की तपस्या होती है। शत्रुनाश व व्याधिनाश हेतु नमक के शिर्वाचन, रोग नाश हेतु गाय के गोबर के शिर्वाचन, दस विधि लक्ष्मी प्राप्ति हेतु मक्खन के शिर्वाचन अन्य कई प्रकार के शिवलिंग बनाकर उनमें प्राण-प्रतिष्ठा कर विधि-विधान द्वारा विशेष पुराणोक्त व वेदोक्त विधि से पूज्य होती रहती है
ऊॅ हौं जूं सः। ऊॅ भूः भुवः स्वः ऊॅ त्रयम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उव्र्वारूकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।। ऊॅ स्वः भुवः भूः ऊॅ। ऊॅ सः जूं हौं।
महाम़त्युंजय का जो भी मंत्र का जाप करें उसके उच्चारण ठीक ढंग से यानि की शुद्धता के सात करें। एक शब्द की गलती आपको भारी पड़ सकती है।
इस मंत्र का जाप एक निश्चित संख्या निर्धारण कर करे। अगले दिन इनकी संख्या बढा एगर चाहे तो लेकिन कम न करें।
मंत्र का जाप करते समट उच्चारण होठों से बाहर नहीं आना चाहिए। यदि इसका अभ्यास न हो तो धीमे स्वर में जप करें। इस मंत्र को करते समय धूप-दीप जलते रहना चाहिए। इस बात का विशेष ध्यान रखें। इस मंत्र का जाप केवल रुद्राक्ष माला से ही करे।
इस रुद्राक्ष माला को गौमुखी में ही रख कर करें पूरा मंत्र हो जानें के बाद ही गौमुखी से बाहर निकाले। इस मंत्र का जप उसी जगह करे जहां पर भगवान शिव की मूर्ति, प्रतिमा या महामृत्युमंजय यंत्र रखा हो। महामृत्युमंजय मंत्र का जाप करते वक्त शिवलिंग में दूध मिलें जल से अभिषक करते रहे।
कभी भी धरती में इस मंत्र या कोई भी पूजा बैठ कर न करें हमेशा कोई आसन या कुश का आसन बिछा कर करें। महामृत्युंजय मंत्र का जाप हमेशा पूर्व दिशा की ओर मुख करके ही करें। इस मंत्र का जाप एक निर्धारित जगह में ही करें। रोज अपनी जगह न बदलें। मंत्र करते समय एकाग्र रखें। अपनें मन को भटकनें न दे।
जितने भी दिन का यह जाप हो। उस समय मांसाहार बिल्कुल भी न खाएं। महामृत्युंजय के दिनों में किसी की बुराई या फिर झूठ नही बोलना चाहिए। इस मंत्र का जाप करते समय आलस्य या उबासी को पास न आने दे। सभी का कल्याण हो.....
