

एक बार आगरा में डकैती करने गए, सेठ को पहले सुचना भेज दी गयी थी, अंग्रेजो का कप्तान छूटी लेकर आगरा से भाग गया, सही समय पर डकैती शुरू, मान सिंह सेठ के साथ उसके बैठक में बैठ गए, सेठ ने तिजोरी की सभी चाभियां मान सिंह को दे दी. और बोला मेरी चार जवान बेटिया घर में है, इनकी इज्जत मत लेना, मान सिंह ने कहा हम धन लूटते है, इज्जत नहीं.
इसी बिच एक डकैत ने सेठ की एक बेटी से छेड़खानी कर बैठा, लड़की चिलायी, सुनकर सेठ घर में भागा, बेटी ने कहा एक डकैत ने मेरे साथ छेड़खानी की, मान सिंह ने पुरे गिरोह को लाइन में खड़ा किया, लड़की को अपने पास बुलाया, बोले बेटी पहचान कौन था, जिओहि लड़की ने डाकू को पहचाना, मान सिंह डाकू को गोली मार दी, उस सेठ से माफ़ी मांगी ,सारा सामान उसके घर में छोड़ ,साथी की लाश लेकर लौट गए.
ये था भारत के डकैतो का चरित्र, आज सफ़ेद पोश राजनैतिक डकैतो ने अपनी सारी हद्दे पार कर दी. बेटी की चीख आज भी बुलंदशहर के बिराने में गूंज रही है ,कोई उस चीख को सुनना नहीं चाहता, कोई उन हैवानो के खिलाफ नहीं बोल रहा है, राजनैतिक अराजकता सर चढ़ कर बोल रही है. विनाश के लक्षण है.