कहते हैं कि शियार की मौत आती है तो वो गांव की ओर भागता है। पाकिस्तान के साथ भी कुछ ऐसा ही है। हर गांव शहर में भूखमरी की हालत चरम पर है, चिकित्सा सेवा से मुल्क की आवाम महरूम है। विकासपरक शिक्षा के बजाय आतंक का पाठ पढ़ाया जा रहा है। यानी सब बरबाद हो रहा है लेकिन ये मुल्क बस हथियारों की खरीद में लगा है।
स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान की ओर से जारी आर्थिक आंकड़ों के मुताबित पिछले चार सालों में विदेशी कर्ज में 11,150 अरब रुपये का इजाफा हुआ है। पाकिस्तान पर साल 2013 में कुल विदेशी कर्ज 61.9 अरब डॉलर था। जो जुलाई, 2014 में बढ़कर 63.4 अरब डॉलर तक पहुंच गया। यानी पाकिस्तान के विदेशी कर्ज में 1.5 अरब डॉलर का इजाफा हुआ है।
ताजा आंकड़ों के मुताबिक जुलाई 2015 में विदेशी ऋण 65.1 अरब डॉलर था, जो जुलाई 2016 तक 7.9 अरब डॉलर के ऐतिहासिक इजाफे के साथ अपने उच्चतम स्तर तक पहुंच गया है। ठीक से कहा जाये तो इस मुल्क को कोई दूसरा क्या मारेगा ये खुद ही खत्म होने की कगार पर है।
भूखमरी, अपराधों की बढ़ती तादाद, ब्लुचिस्तान में बढ़ते असंतोष जैसी बातों से ध्यान बंटाने के लिये पाकिस्तान भारत के साथ युद्ध छेड़ सकता है। जिसमें चीन उसकी मदद कर सकता है। ये बात अलग है कि युद्ध की स्थिति में पाकिस्तान में खाने के लाले पड़ने की पूरी संभावना है। ठीक से कहें तो कश्मीर को आजाद करवाने की बात करने वाला ये पूरा मुल्क खुद बिकने को तैयार खड़ा है।
