शबाना कादरी जो कि मध्यप्रदेश से आईं
थीं उन्होंने कहा, ‘महिलाओं को अंदर नहीं जाने दिया जाना चाहिए. हमारी
पवित्र किताबों में ऐसा करने से मना किया गया है. यह एक दिव्य संदेश है।
इसके साथ खेल नहीं होना चाहिए.
मुंबई के महीम में रहने वाली राहत जो
कि 50 साल की हैं उन्होंने कहा, ‘मैं महीने में कम से कम एक बार दरगाह
जरूर आती हूं. शरिया में जैसे महिलाओं को कब्रिस्तान के अंदर ना जाने के
लिए कहा गया है. वैसे ही यहां आने के लिए भी मनाही है. मैं नहीं जानती कि
महिलाओं को अंदर जाने की इजाजत क्यों दी जा रही है.
शौकत बीबी जो कि
अपने पति और बच्चे के साथ दरगाह पर थीं उन्होंने कहा, ‘किसी भी पीर की
दरगाह को पवित्र होना चाहिए. महिलाएं कभी कभी अपवित्र होती हैं.’ इसके
अलावा भी वहां मौजूद कई महिलाओं ने इस आदेश को गलत बताया.
