
शारदीय नवरात्र का महत्व इसलिए भी है कि भगवान राम ने इन्हीं नवरात्र में मां भगवती की आराधना से देवी को प्रसन्न कर विजयादशमी के दिन रावण का संहार किया था। श्रद्धा विश्वास से ऊर्जा और शक्ति की देवी दुर्गा की उपासना से आज भी भक्त शांति और आत्म बल प्राप्त करते हैं।
शारदीय नवरात्रा प्रारंभ होने के पूर्व लोगों के दिलों में यह जिज्ञासा बनी रहती हैं कि मां दुर्गा अपने पूरे परिवार के साथ किस वाहन पर सवार होकर आएगी ओर किस वाहन से वापस लौटेंगी। ज्योतिषशास्त्र में मां दुर्गा के आगमन एवं प्रस्थान के वाहन से ही आगामी वर्ष के अच्छे बुरे फल का अंदाज लगाया जाता हैं।
शासक वर्ग के लिए आगमन अशुभ, प्रजा के लिए शुभ : श्री शिव शक्ति योग पीठ के पीठाधीश्वर परमहंस स्वामी आगमानंद महाराज के अनुसार माता का आगमन इस बार घोड़ा पर और प्रस्थान मुर्गा पर हो रहा। इसके अनुसार माता का आना और जाना दोनों इस बार शुभ नहीं। इससे देश पर विपत्ति, किसी बड़े राजनेता का निधन, आतंकवादी घटनाएं, दैवीय आपदा, भूकंप, आमजन में व्याकुलता, उग्रता देखने को मिलेगी।
इस वर्ष नवरात्रा कलश स्थापना अश्विनी शुक्ल पक्ष प्रतिपदा एक अक्टूबर को होगी और इस दिन शनिवार को होने के कारण शास्त्रों में मां दुर्गा का आगमन वाहन " घोड़ा" होगा। जिसका फल होता हैं कि किसी बड़े राष्ट्र नेता का देहांत होना, सरकार को विरोध का सामना करना पडेगा, राजा को हानि होगी। यह शासन एवं सत्ता के लिए अशुभ माना जाता हैं लेकिन आम लोगों के लिए शुभ संकेत है।
विजयादशमी 11 अक्टूबर मंगलवार को हैं। मां दुर्गा अपने पूरे परिवार के साथ " मुर्गा " पर सवार होकर लौटेगी। जिसका फल होता हैं। राष्ट्र ओर जनमानस के बीच विकलता, अन्तर युद्ध, अशांति, क्षौभ, आदि। इस बार दस दिनों का नवरात्रा होगी। द्वितीया तिथि दो दिन हैं। कई साल बाद इस तरह का संयोग बना है। कुल मिलाकर असुर पर सुर, बुराई पर अच्छाई के विजय का प्रतीक नवरात्रा आत्मसाधना हैं।
वार से जुड़ी है मां की सवारी : मां दुर्गा का आगमन एवं प्रस्थान 'वार 'से जुड़ी हुई हैं। इस बार नवरात्र शनिवार से शुरू हो रहे है और मां की आगमन का वाहन घोड़ा रहेगा। प्रस्थान मंगलवार को होगा और वाहन मुर्गा रहेगा।
शशि सूर्ये गजारुढा शनि भौमे तुरंगमे। गुरौ शुक्रे च ढोलायां बुधे नौका प्रकीत्र्त्तिता।। अर्थात यदि रविवार व सोमवार को पूजा प्रारंभ होती हैं तो मां दुर्गा हाथी पर, शनिवार व मंगलवार को अश्व पर, गुरुवार व शुक्रवार को पालकी पर,ओर बुधवार को पूजा प्रारंभ होने पर मां दुर्गा नौका पर सवार होकर आती हैं।
तत्तफलम: गजे च जलदा देवी क्षत्र भंग स्तुरंगमे। नोकायां सर्वसिद्धि स्या ढोलायां मरणं धुवम्।। अर्थात गज ( हाथी) पर आना पानी की बढ़ोतरी, घोड़ा पर आना युद्ध की आशंका, नौका पर आना मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। डोली पर आना आक्रांत रोग, मृत्यु का भय बना रहता हैं।
प्रस्थान दोनों के लिए अशुभ :
पंडित मुकेश मिश्र एवं अविनाश मिश्रा के अनुसार विजयदशमी को माता का मुर्गा पर सवार होकर जाना शासक एवं प्रजा वर्ग दोनों के लिए अशुभ माना जाता है। वार के अनुसार रविवार व सोमवार को विजयादशमी होती हैं तो मां दुर्गा भैंसा पर, शनिवार व मंगलवार को मुर्गा पर, बुधवार व शुक्रवार को गज पर एवं गुरुवार को नर वाहन पर प्रस्थान करती हैं।
मां दुर्गा के प्रस्थान का फल :
मां दुर्गा के प्रस्थान का फल :
शशि सूर्यदिने यदि सा विजया महिषागमने रुज शोक कुरा, शनि भोमे दिने यदि सा विजया चरणा युद्ध यानकरी विफला। बुध शुक्र दिने यदि सा विजया गजवाहन शुभ वृष्टि करा , सुर राज गुरौ यदि सा विजया नर वाहनगा शुभ सोख्य करा।।
अर्थात भैंसा पर प्रस्थान करना शोक का माहौल मुर्गा पर जन मानस में विकलता, गज पर शुभ वृष्टि, नरवाहन पर शुभ सौख्य होती हैं।
अर्थात भैंसा पर प्रस्थान करना शोक का माहौल मुर्गा पर जन मानस में विकलता, गज पर शुभ वृष्टि, नरवाहन पर शुभ सौख्य होती हैं।