
शहादत पर हम मुआवज़ा क्यों देते हैं ? शहादत पर तो ईनाम मिलना चाहिए. फिर मुआवज़ा क्यों ?
सड़क पे कोई आपको टक्कर मार जाए तो मुआवज़ा मिलता है. किसी बनते पुल का हिस्सा टूट के आप पर गिर जाए तो मुआवज़ा मिलता है. चलती ट्रेन में आपके साथ कोई हादसा हो जाए तो मुआवज़ा मिलता है. इसके अलावा तमाम तरह के प्रावधान हैं जिनमें मुआवज़ा मिलता है. लेकिन शहादत के लिए मुआवज़ा?
जिन शहीदों के घरवालों को उनकी अनुपस्थिति में हम बेहतर जीवन देना चाहते हैं, उन्हें वो जीवन सम्मान के साथ भी तो दे सकते हैं, तरस खा के मुआवज़े की तरह क्यों देते हैं ?
खिलाड़ी पदक जीत के आते हैं, होड़ लग जाती है पैसों में तोलने की. एक राज्य कहता है जन्म हमारे यहां हुआ, दूसरा कहता है ट्रेनिंग हमारे यहां ली, तीसरा कहता है स्पॉन्सरशिप तो हमारे यहां की कंपनी ने की थी.
शहीदों को अपनाने के लिए ऐसे होड़ क्यों नहीं मचती ? शहादत पे सौदेबाज़ी की संभावनाओं को खत्म करने के लिए सरकार को कोई बड़ा फैसला लेना चाहिए.