चुनाव आयोग के नए सवालों से आप सरकार में हड़कंप


No automatic alt text available.    सरकार के 21 संददीय सचिवों से संबंधित चुनाव आयोग के नए प्रश्नावली से दिल्ली सरकार के विभागों में अफरा-तफरी मची है. चुनाव आयोग ने दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव के के शर्मा को पत्र लिखकर 21 संसदीय सचिवों के बारे में विस्तृत जानकारी मांगी है. इन संसदीय सचिवों ने अबतक कितनी सरकारी फाइल देखी, कितनी बैठकों में शामिल हुए व बैठकों में उनकी अटेंडेंस सीट आयोग ने तुरंत मांगी है.
      चुनाव आयोग के पिछले पत्र के आधार पर 29 जून को दिल्ली सरकार की ओर से आयोग द्वारा पूछे ग्यारह सवालों के जवाब भेजे जा चुके हैं जिससे आयोग बिलकुल संतुष्ट नहीं है तथा फिर से बिल्कुल नई प्रश्नावली दिल्ली सरकार को भेजी गई है. साथ ही जवाब देने की अंतिम तिथि बृहस्पतिवार है जिससे अधिकारी सही जवाब व इससे संबंधित जानकारी जुटाने के लिए फाइल खंगाल रहे हैं.
     मुख्य सचिव को भेजे पत्र में चुनाव आयोग ने पूछा कि नेशनल कैपिटल टेरिटरी एक्ट 1991 में संसदीय सचिव पद की क्या परिभाषा दी गई है व बिजनेस रूल्स के तहत इसके बारे में क्या प्रक्रिया निर्धारित की गई है. इन संसदीय सचिवों की जिन मीटिंग के बारे में जानकारी दी गई है उसमें यह स्पष्ट नहीं है कि किस अधिकार के तहत वे बैठक में शामिल हुए तथा यह एडवायजरी मीटिंग थी या कोई एक्जीक्यूटिव निर्णय लिए जाने थे.
    यह भी जानकारी दें कि मीटिंग किसी मॉनिटरिंग के लिए थी या किसी निर्णय के लिए. सभी 21 संसदीय सचिवों ने अपने आधिकारित क्षमता के तहत कितनी सरकारी फाइलें देखीं. सभी बैठकों के मिनट ऑफ मीटिंग व अटेंडेंस सीट भी चुनाव आयोग ने मांगे हैं.
     सभी 21 संसदीय सचिवों के मिले कार्यालय व आवास की सुविधा का विवरण मांगा गया है. विधान सभा द्वारा संसदीय सचिवों को कमरा या कार्यालय दिए जाने का क्या प्रावधान है इसकी सूचना मांगी गई है. साथ ही दिल्ली सरकार द्वारा विधान सभा में सभी संसदीय सचिवों को आफिस ऑफ प्राफिट एक्ट से बचाने के लिए विधान सभा द्वारा पास किए गए बिल की प्रति भी चुनाव आयोग ने मांगी है.

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