भूमिहीन बृद्ध महिला-पुरुष अपना हक़ मांगने गए थे ... राजद-जद(यू) की सरकार ने चलवा दिए लठ
Headline News
Loading...

Ads Area

भूमिहीन बृद्ध महिला-पुरुष अपना हक़ मांगने गए थे ... राजद-जद(यू) की सरकार ने चलवा दिए लठ

    8 दिसम्बर को बिहार के भागलपुर में डीएम कार्यालय के समक्ष जमीन की माँग को लेकर पिछले चार दिनों से आमरण अनशन पर बैठे भूमिहीन बृद्ध महिला-पुरुषों समेत सभी प्रदर्शनकारियों पर राजद-जद(यू) की सरकार ने कहर बरपा दिया। महिला हितैषी का ढोंग करनेवाले नीतीश कुमार की पुलिस ने बृद्ध महिलाओं तक को भी नहीं बख्शा, सभी को दौड़ा-दौड़ाकर तबतक पीटा गया जबतक कि महिलाएँ बेहोश नहीं हो गई। कई महिलाएं इस भगदड़ में अर्द्धनग्न तक हो गई।
      यह बात सभी को मालूम है कि नीतीश कुमार ने डी. बंदोपाध्याय की अध्यक्षता में भूमि सुधार आयोग का गठन किया था, जिसने अपनी रिपोर्ट में लाखों एकड़ जमीन गैरमजुरवा, सीलिंग से फाजिल जमीन व भूदान की जमीन होने की बात कही थी और साथ में लाखों भूमिहीन परिवार के होने की बात भी कही थी। लेकिन नीतीश कुमार ने बिहार के सामंतों, अपराधियों व भूमिचोरों के सामने घुटने टेकते हुए डी. बंदोपाध्याय की रिपोर्ट को रद्दी की टोकरी में फेंक दिया क्योंकि इन सारे जमीनों पर उनके वोट मैनेजरों का ही कब्जा है। वैसे अभी के विपक्ष भाजपा भी उस समय सत्ता में हिस्सेदार थी और राजद विपक्ष में था लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि बिहार में वामदलों को छोड़कर किसी ने भी भूमि सुधार आयोग की रिपोर्ट को लागू करने का दबाव नहीं बनाया। वामदलों में भी माले ने जरूर कुछ धरना-प्रदर्शनों के जरिए और इसे 2010 में अपना चुनावी मुद्दा भी बनाकर भूमि सुधार आयोग की रिपोर्ट को लागू करने का दबाव बनाना चाहा, लेकिन सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंगा।
     भूमिहीन परिवार सिर्फ बिहार में ही नहीं बल्कि पूरे देश में एक बदतर जिंदगी जीने को विवश है। कहीं - कहीं सरकार ने अगर भूमिहीनों को जमीन का पर्चा दे भी दिया है तो दशकों से वे उसपर कब्जा के लिए संघर्ष कर रहे हैं। भागलपुर में काम करते वक्त मैं ऐसे हजारों परिवारों से मिला था, जिनको जमीन का परचा तो मिल गया है लेकिन अबतक कब्जा नहीं मिला था और उनकी सारी जमीने सत्ता संरक्षित अपराधियों के कब्जे में थी।
     एक बात पूरी तरह से साफ है कि कोई भी सरकार भूमि सुधार नहीं चाहती और अगर भूमिहीनों को जमीन चाहिए तो सरकार से भीख मांगने के बजाय बिहार के गौरवशाली किसान आंदोलन का रास्ता अख्तियार करना चाहिए और "जोतनेवालों के हाथ में जमीन" के नारे के साथ ऐसी सारी बेनामी जमीन पर कब्जा कर लेना चाहिए।

Post a Comment

0 Comments