नोटबंदी से पहले बैंकों में भारी डिपॉजिट की जांच हो : आप
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नोटबंदी से पहले बैंकों में भारी डिपॉजिट की जांच हो : आप

    आम आदमी पार्टी (आप) ने शुक्रवार को केंद्र सरकार से सितंबर के दूसरे पखवाड़े के दौरान बैंकों में रहस्यमय ढंग से जमा की गई भारी रकम के स्रोत के बारे में जांच करने का आग्रह किया.
    आप ने कहा कि नोटबंदी से पहले बैंकों में तीन लाख करोड़ रुपये जमा होने से इस बात की पुष्टि हो जाती है कि प्रधानमंत्री के करीबी लोगों को 500 और 1,000 रुपये को अमान्य किए जाने की जानकारी पहले से थी.
     राष्ट्रीय राजधानी में संवाददाताओं से बातचीत में आप नेता आशीष खेतान ने बिजनेस स्टैंडर्ड के एक लेख का संदर्भ दिया, जिसके मुताबिक सितंबर महीने के अंतिम 15 दिनों के दौरान फिक्स्ड डिपॉजिट के रूप में लगभग तीन लाख करोड़ रुपये जमा कराए गए.
      खेतान ने कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 12 नवंबर को एक अन्य मीडिया रिपोर्ट का संदर्भ दिया था, जिसके मुताबिक जुलाई से सितंबर महीने के दौरान बैंकों में लगभग चार लाख करोड़ रुपये जमा किए गए.
     उन्होंने कहा, "केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि बैंकों की डिपॉजिट में यह बढ़ोतरी सातवें वेतन आयोग के बकाया भुगतान के कारण हुई." उन्होंने कहा, "लेकिन ये पैसे बचत या चालू खाते में नहीं, बल्कि फिक्स्ड डिपॉजिट के रूप में जमा किए गए."
     खेतान ने कहा, "चूंकि कुल बकाया भुगतान 45,000 करोड़ रुपये था, फिर तीन लाख करोड़ रुपये की डिपॉजिट के बारे में क्या कहा जाए?" खेतान ने कहा कि फिक्स्ड डिपॉजिट से अगले महीने 1.5 लाख करोड़ रुपये निकाल लिए गए.
     आप नेता ने कहा, "केंद्र सरकार ने कहा है कि यदि कोई व्यक्ति 2.5 लाख रुपये से अधिक की राशि अपने खाते में जमा करता है, तो उनके खिलाफ आयकर विभाग द्वारा नोटिस जारी किया जाएगा, यहां तक कि उनके यहां छापेमारी भी हो सकती है. लेकिन सरकार की मंशा बैंकों में जमा किए गए 3-4 लाख करोड़ की रकम की जांच करने की नहीं है."
     उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने आठ नवंबर की मध्यरात्रि से 500 रुपये तथा 1,000 रुपये के नोटों को अमान्य घोषित कर दिया था. सरकार का कहना है कि ऐसा काला धन, नकली नोट, आतंकवाद के वित्तपोषण से निपटने के लिए किया गया है.

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