प्रधानमंत्री मोदी के भाइयों में एक थे फिटर, कोई बेचता है पतंग, कोई चलाता है बुजुर्गों के लिए संस्था, किसी का है कबाड़ का कारोबार
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प्रधानमंत्री मोदी के भाइयों में एक थे फिटर, कोई बेचता है पतंग, कोई चलाता है बुजुर्गों के लिए संस्था, किसी का है कबाड़ का कारोबार



    यूं तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता किसी से छिपी नहीं है। लेकिन उनका परिवार हमेशा मीडिया की चकाचौंध से दूर ही रहा है। उनके बड़े और छोटे भाई गुजरात में लाइमलाइट से दूर किसी आम आदमी जैसी जिंदगी बिता रहे हैं। इंडिया टुडे मैगजीन के ताजा अंक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाइयों के बारे में कई एेसी जानकारियां दी गई हैं, जो अब से पहले लोगों को पता नहीं थी।
सोमभाई मोदी : गुजरात में बुजुर्गों की देखभाल के लिए संस्था चलाने वाले सोमभाई के बारे में लोगों को साल 2015 में पता चला। उस वक्त वह एक एनजीओ द्वारा आयोजित कार्यक्रम में गए थे। यहां उनके नाम के आगे लिखा था सोमभाई मोदी-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सबसे बड़े भाई। इसके बाद सोमभाई ने कहा था, मेरे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच एक परदा है। मैं उन परदे को देख सकता हूं, लेकिन आप नहीं। मैं नरेंद्र मोदी का भाई हूं, प्रधानमंत्री का नहीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए मैं भारत के 125 करोड़ नागरिकों में से एक हूं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने पिता के 6 बच्चों में तीसरे हैं। सोमभाई पिछले ढाई साल से प्रधानमंत्री से नहीं मिले। सिर्फ फोन पर ही बात हुई है। लेकिन गुजरात इन्फॉर्मेशन डिपार्टमेंट में कार्यरत उनके छोटे भाई पंकज से उनका मिलना होता रहता है, क्योंकि मां हीराबेन उनके साथ ही गांधीनगर में रहती हैं।
अमृतभाई मोदी : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूसरे बड़े भाई हैं और साल 2005 में एक प्राइवेट कंपनी से बतौर फिटर रिटायर हुए थे। उनकी तनख्वाह उस वक्त सिर्फ 10 हजार रुपये थी। वह फिलहाल अहमदाबाद के गढ़लोढ़िया इलाके में अपने मध्यम व्यवसायी बेटे संजय (47), उसकी पत्नी और दो बच्चों के साथ चार कमरे के घर में लाइमलाइट से दूर जिंदगी बिता रहे हैं। संजय का बेटा नीरव और बेटी निराली दोनों ही इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स हैं। उन्होंने साल 2009 में ही कार खरीदी है। संजय के परिवार का दावा है कि उन्हें अब तक प्लेन में बैठने का इंतजार है। उनकी अब तक सिर्फ दो बार ही पीएम मोदी से मुलाकात हो पाई है। पहली साल 2003 में जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे और दूसरी बार 16 मई 2014 को जब बीजेपी ने लोकसभा चुनाव जीता था।
प्रह्लाद मोदी (64) : पीएम नरेंद्र मोदी से छोटे हैं और गुजरात में फेयर प्राइस शॉप ऑनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं। जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने पीडीएस सिस्टम में पारदर्शिता को लेकर एक मुहिम शुरू की थी, जिसका प्रह्लाद मोदी ने विरोध किया था। इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अन्य भाई, भतीजों, भतीजियों और उनके चचेरे भाइयों की कहानी भी संघर्ष भरी है।
     प्रधानमंत्री के चाचा नरसिनदास के बेटे अशोकभाई वाडनगर के घीकंटा बाजार में एक छोटी सी दुकान में पतंग, पटाखे और स्नैक्स बेचते हैं। अशोक से बड़े भरतभाई वाडनगर से 60 किलोमीटर दूर पालनपुर के पास लालवाड़ा गांव के एक पेट्रोल पंप पर काम कर अपना पेट भरते हैं। उनकी पत्नी रामिलाबेन छोटी-मोटी चीजें बेचकर पैसा कमाती हैं। भरतभाई से छोटे चंद्रकातभाई अहमदाबाद की एक चैरिटेबल गौशाला में बतौर सहायक काम करते हैं। अशोक और भरतभाई के भाई अरविंदभाई एक स्क्रैप डीलर हैं जो वाडनगर में घर-घर घूमकर पुराने टिन और बेकार रद्दी उठाते हैं। मोदी के चाचा नरसिनदास के सबसे बड़े बेटे भोगीभाई वाडनगर में एक ग्रॉसरी शॉप चलाते हैं।



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