ये
नार्दर्न व्हाइट राइनो (गैंडा) है। इसका नाम सूडान था। ये अपनी पूरी
प्रजाति का आखिरी बचा नर था। आज इसकी मौत हो गई। अब इस प्रजाति की सिर्फ दो
मादा गैंडा ही बची हैं। लेकिन, अब नर नहीं बचे, इसलिए एक तरह से इस पूरी
प्रजाति को ही समाप्त माना जा सकता है।
जहां कहीं भी गैंडे पाये जाते हैं, उनकी सींगों के लिए उन्हें निशाना बनाया जाता है। इस तरह के वहम हैं कि उनकी सींगों से तमाम किस्म की दवाएं बनाई जा सकती हैं। इसके चलते गैंडों का अंधाधुंध शिकार होता रहा है। हमारे भारत में पाये जाने वाले गैंडों की संख्या भी इसी कारण से इतनी सिमट कर रह गई है। दुनिया भर में गैंडों की पांच मुख्य प्रजातियां पाई जाती हैं। उन्हीं में से एक की उपप्रजाति नार्दर्न व्हाइट गैंडों की भी थी। ये अफ्रीका के कुछ खास हिस्सों में पाए जाते थे।
सींग के लिए शिकारियों ने इनका बेरहमी से शिकार किया। जिसके चलते इनकी तादात समाप्त होती गई। सूडान नाम से इस अंतिम नर गैंडे को केन्या में संरक्षण में रखा गया था। शिकारी इसे मार न दें, इसके लिए इसके आस-पास बंदूकधारी गार्ड भी तैनात किए गए। लेकिन पैंतालीस साल की अवस्था में इस गैंडे ने आज दम तोड़ दिया। उसकी मौत के पीछे उम्र को ही जिम्मेदार माना जा रहा। लेकिन, सूडान की मौत के साथ ही इस प्रजाति के दोबारा फलने-फूलने की उम्मीद खतम हो गई है।
लगभग दो साल से मैं सूडान के बारे में खबरें पढ़ता रहा हूं। खासतौर पर सूडान को तब ज्यादा प्रसिद्धि मिली जब उसे मोस्ट एलीजिबल बेचलर्स वाली सूची में डाल दिया गया। इससे दुनिया भर का ध्यान उसकी तरफ गया और संरक्षण के प्रयासों में तेजी आई। इसके बावजूद उसे बचाया नहीं जा सका और सबके देखते-देखते एक पूरी प्रजाति समाप्त हो गई।
इस तरह से एक पूरी प्रजाति का समाप्त हो जाना क्या हमारे लिए बेहद अफसोस की बात नहीं होनी चाहिए। इंसान के लालच और वहम की भेंट एक और प्रजाति चढ़ गई।
जहां कहीं भी गैंडे पाये जाते हैं, उनकी सींगों के लिए उन्हें निशाना बनाया जाता है। इस तरह के वहम हैं कि उनकी सींगों से तमाम किस्म की दवाएं बनाई जा सकती हैं। इसके चलते गैंडों का अंधाधुंध शिकार होता रहा है। हमारे भारत में पाये जाने वाले गैंडों की संख्या भी इसी कारण से इतनी सिमट कर रह गई है। दुनिया भर में गैंडों की पांच मुख्य प्रजातियां पाई जाती हैं। उन्हीं में से एक की उपप्रजाति नार्दर्न व्हाइट गैंडों की भी थी। ये अफ्रीका के कुछ खास हिस्सों में पाए जाते थे।
सींग के लिए शिकारियों ने इनका बेरहमी से शिकार किया। जिसके चलते इनकी तादात समाप्त होती गई। सूडान नाम से इस अंतिम नर गैंडे को केन्या में संरक्षण में रखा गया था। शिकारी इसे मार न दें, इसके लिए इसके आस-पास बंदूकधारी गार्ड भी तैनात किए गए। लेकिन पैंतालीस साल की अवस्था में इस गैंडे ने आज दम तोड़ दिया। उसकी मौत के पीछे उम्र को ही जिम्मेदार माना जा रहा। लेकिन, सूडान की मौत के साथ ही इस प्रजाति के दोबारा फलने-फूलने की उम्मीद खतम हो गई है।
लगभग दो साल से मैं सूडान के बारे में खबरें पढ़ता रहा हूं। खासतौर पर सूडान को तब ज्यादा प्रसिद्धि मिली जब उसे मोस्ट एलीजिबल बेचलर्स वाली सूची में डाल दिया गया। इससे दुनिया भर का ध्यान उसकी तरफ गया और संरक्षण के प्रयासों में तेजी आई। इसके बावजूद उसे बचाया नहीं जा सका और सबके देखते-देखते एक पूरी प्रजाति समाप्त हो गई।
इस तरह से एक पूरी प्रजाति का समाप्त हो जाना क्या हमारे लिए बेहद अफसोस की बात नहीं होनी चाहिए। इंसान के लालच और वहम की भेंट एक और प्रजाति चढ़ गई।