गोबिंदर, बलवंत और देविंदर. ये तीन नाम और उनके साथ लिखी उनकी उम्र अलग-अलग ज़रूर है, लेकिन इन सभी की मौत की वजह एक ही है. सभी के सिर में गोली मारी गई. आधिकारिक दस्तावेज़ों के अनुसार, इराक़ के मूसल शहर में मारे गए 38 भारतीय मजदूरों मे से अधिकतर की मौत सिर में गोली लगने से हुई थी.
इराक़ सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने फ़ॉरेंसिक डिपार्टमेंट के हवाले से जो जानकारी दी, वो इसकी तस्दीक करती है. बता दें कि इराक़ की एक कंस्ट्रक्शन कंपनी के लिए काम करने वाले इन भारतीय मजदूरों को साल 2014 में कथित चरमपंथी संगठन इस्लामिक स्टेट ने अगवा कर, गोली मार दी थी. मारे गए 38 भारतीय मजदूरों में से 27 पंजाब से थे. सभी ग़रीब परिवार से वास्ता रखते थे और रोज़गार की तलाश में एक कंस्ट्रक्शन कंपनी के लिए काम करने इराक़ गए थे. जहां कथित इस्लामिक स्टेट के चरमपंथियों ने उनकी हत्या कर दी.
इराक़ सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने फ़ॉरेंसिक डिपार्टमेंट के हवाले से जो जानकारी दी, वो इसकी तस्दीक करती है. बता दें कि इराक़ की एक कंस्ट्रक्शन कंपनी के लिए काम करने वाले इन भारतीय मजदूरों को साल 2014 में कथित चरमपंथी संगठन इस्लामिक स्टेट ने अगवा कर, गोली मार दी थी. मारे गए 38 भारतीय मजदूरों में से 27 पंजाब से थे. सभी ग़रीब परिवार से वास्ता रखते थे और रोज़गार की तलाश में एक कंस्ट्रक्शन कंपनी के लिए काम करने इराक़ गए थे. जहां कथित इस्लामिक स्टेट के चरमपंथियों ने उनकी हत्या कर दी.