आरबीआई का खुलासा : नरेंद्र मोदी के शासनकाल में तिगुना हुआ सरकारी बैंकों का ‘बैड लोन’
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आरबीआई का खुलासा : नरेंद्र मोदी के शासनकाल में तिगुना हुआ सरकारी बैंकों का ‘बैड लोन’

     रिजर्व बैंक ने सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत जानकारी दी है कि नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में सरकारी बैंकों का एनपीए यानी बैड लोन तिगुना हो गया है। इंडिया टुडे टीवी के सवालों का जवाब देते हुए आरबीआई ने कहा है कि 30 जून, 2014 से दिसंबर, 2017 के अंत तक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का एनपीए बढ़कर तीन गुना हो गया है। रिजर्व बैंक ने कहा है, 30 जून, 2014 तक सरकारी क्षेत्र के बैंकों का कुल एनपीए 2,24,542 करोड़ रुपये था जो साढ़े तीन साल यानी दिसंबर 2017 तक बढ़कर 7,23,513 करोड़ रुपये हो गया। रिजर्व बैंक ने सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकों की रिपोर्ट के आधार पर यह आंकड़ा जारी किया है।
    आरटीआई में 30 जून, 2018 तक बैड लोन की जानकारी मांगी गई थी लेकिन आरबीआई ने आंकड़ा नहीं होने का हवाला देकर आगे की सूचना देने में असमर्थता जाहिर की। आरबीआई ने आरटीआई के जवाब में यह भी बताया है कि अप्रैल 2014 से लेकर 31 मार्च, 2018 तक इन बैंकों द्वारा कुल 1,77,931 करोड़ रुपये की लोन रिकवरी हुई है। यह आंकड़ा दिसंबर 2017 तक बांटे गए बैड लोन से बहुत छोटा है। बता दें कि कुछ दिनों पहले रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने संसदीय समिति को लिखित जवाब में कहा था कि उन्होंने बड़े बैंक घोटालेबाजों की एक लिस्ट प्रधानमंत्री कार्यालय भेजकर आगाह किया था लेकिन उनमें से एक के खिलाफ भी कार्रवाई नहीं हुई। राजन के बयान के बाद से केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार विपक्ष के निशाने पर है। विपक्ष घोटालेबाजों को बचाने का आरोप मोदी सरकार पर लगा रहा है।
     केंद्र सरकार इन बैड लोन के एक बड़े घोटालेबाज और भगोड़े विजय माल्या के बयान से भी निशाने पर है। पिछले हफ्ते माल्या ने आरोप लगाया था कि उसने लंदन आने से पहले वित्त मंत्री अरुण जेटली से मुलाकात की थी और सेटलमेंट की बात कही थी। हालांकि, जेटली ने माल्या से संसद में चलते-फिरते अनौपचारिक मुलाकात की बात कबूल की लेकिन सेटलमेंट के आरोपों से इनकार किया। साथ ही यह भी कहा था कि उन्होंने कोई औपचारिक मुलाकात नहीं की थी। विपक्ष इस मामले में जेटली से इस्तीफा मांग रहा है और माल्या को विदेश भगाने का आरोप लगा रहा है।

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