हद है शिवराज सरकार ने परिजनों से कहा- शहादत का सर्टिफिकेट लाओ तब देंगे मदद
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हद है शिवराज सरकार ने परिजनों से कहा- शहादत का सर्टिफिकेट लाओ तब देंगे मदद

Image may contain: 2 people, selfie and text   भारतीय सेना के जवान रंजीत सिंह तोमर दो महीने पहले जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा में शहीद हो गए थे। जवान रंंजीत सिंह तोमर मध्य प्रदेश के दतिया जिले के रहने वाले थे। उनके अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी पहुंचे थे। मुख्यमंत्री ने शहीद के परिवार को एक करोड़ रुपये की सम्मान निधि देने की घोषणा की थी। लेकिन अब सरकार के अफसर शहीद के परिवार से शहादत का सर्टिफिकेट मांग रहे हैं। शहीद के परिजन अब एक सरकारी विभाग से दूसरे के चक्कर काट रहे हैं।
     बता दें कि शहीद रंजीत सिंह तोमर की मौत दो महीने पहले 6 जुलाई को कुपवाड़ा में हुई थी। वह 28 राष्ट्रीय राइफल्स के जवान थे। जब शहीद का शव अंतिम संस्कार के लिए उनके पैतृक गांव रेव में लाया गया था । इस दौरान प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी शहीद को श्रद्धांजलि अर्पित की थी। मुख्यमंत्री ने घोषणा की थी कि राज्य सरकार शहीद के परिवार को एक करोड़ रुपये की सम्मान निधि देगी। इसके साथ ही छोटी बहन को फ्लैट, भाई को सरकारी नौकरी और दतिया जिले में किसी सरकारी संस्था का नाम शहीद रंजीत सिंह के नाम पर करने का ऐलान किया था।
    लेकिन मुख्यमंत्री के द्वारा की गई घोषणाओं पर अमल अभी तक नहीं हो सका है। राज्य सरकार के गृह विभाग के अधिकारी शहीद के परिवार से बैटल कैजुअल्टी सर्टिफिकेट की मांग कर रहे हैं। दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक, शहीद के बड़े भाई हीरा सिंह तोमर जब इस संबंध में मंत्री नरोत्तम मिश्रा से मिले तो उन्होंने कहा कि शहीद का प्रमाणपत्र लेकर आएं। जब तक प्रमाणपत्र नहीं होगा, फंड रिलीज नहीं किया जाएगा।
    रिपोर्ट के मुताबिक, मप्र शासन के उपसचिव बीएस जामोद ने कहा कि शहीद रंजीत सिंह तोमर के मामले में सेना मुख्यालय से बैटल कैजुअल्टी सर्टिफिकेट अब तक नहीं आया है। जब तक यह सर्टिफिकेट नहीं आएगा, तब तक मुख्यमंत्री की घोषणा के मुताबिक शहीदों को दिया जाने वाला कोई लाभ शासन की ओर से नहीं दिया जा सकता है। यह एकमात्र केस है, जिसमें देरी हुई है। इस तरह का और कोई मामला शासन के पास लंबित नहीं है।

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