पैर पकड़ते-पकड़ते थक गए लेकिन वो जाति पूछ-पूछकर मारते रहे, रोते-रोते सांसद ने सुनाई आपबीती
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पैर पकड़ते-पकड़ते थक गए लेकिन वो जाति पूछ-पूछकर मारते रहे, रोते-रोते सांसद ने सुनाई आपबीती

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     बिहार के मधेपुरा से सांसद और जन अधिकार पार्टी के संरक्षक राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव पर मुज्फ्फरपुर में हमला हुआ है। हालांकि, पप्पू यादव को उनके सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें सकुशल बचा लिया। बाद में मीडिया को घटना के बारे में बताते हुए सांसद ने कहा कि एससी-एसटी एक्ट में संशोधन के खिलाफ सवर्णों द्वारा बुलाए गए बंद समर्थकों ने उन पर और उनके काफिले पर हमला किया। बतौर पप्पू हमलावरों ने जाति पूछ-पूछकर सभी को मारा पीटा। मीडिया के सामने रोते हुए सांसद ने कहा, “हमलावरों का पैर पकड़ते-पकड़ते थक गए लेकिन वे लोग जाति पूछ-पूछकर मारते रहे।” सांसद ने कहा कि कहां-कहां मारा है, न तो बता सकते हैं और न ही दिखा सकते हैं। पप्पू ने बताया कि जब हमला हुआ तो उन्होंने कहा कि वो भी बंद के समर्थन में हैं, कोई दिक्कत नहीं है लेकिन बंद समर्थकों ने उन्हें मां-बहन की गालियां दी और गुंडई दिखाने की धमकी दी। इसके बाद मारपीट करने लगे।
       उन्होंने कहा कि अगर उनके गार्ड नहीं होते तो वे लोग उन्हें मार देते। सांसद ने कहा कि जब उन पर हमला हुआ तो उन्होंने एसपी को फोन किया, आईजी को फोन किया लेकिन किसी ने फोन नहीं उठाया। इसके बाद सीएम को फोन किया वहां उनके पीए से बात हुई। हमले के बाद पप्पू यादव ने ट्वीट कर घटना की जानकारी दी। उन्होंने लिखा, “महाजंगलराज का नंगा नाच। नारी बचाओ पदयात्रा में मधुबनी जाने के दौरान हमारे काफिले पर भारत बंद के नाम पर गुंडों ने हमला किया, कार्यकर्ताओं को बुरी तरह जाति पूछ-पूछकर पीटा है। आखिर बिहार में कोई शासन-प्रशासन है, या, नहीं! सीएम नीतीश कुमार आप किस कुम्भकर्णी नींद में सोए हैं।” पप्पू ने बताया कि वो नारी बचाओ पदयात्रा में भाग लेने के लिए मुजफ्फरपुर के रास्ते मधुबनी जा रहे थे, तभी रास्ते में मुजफ्फरपुर के पास खबड़ा में हमलावरों ने उन पर धावा बोल दिया।
      बता दें कि अनुसूचित जाति-जनजाति कानून में संशोधन के खिलाफ सवर्णों ने गुरुवार (06 सितंबर) को देशव्यापी बंद बुलाया था। बिहार में बंद का व्यापक असर देखने को मिला। राज्य के करीब 30 जिलों में बंद समर्थकों ने हंगामा किया। राजधानी पटना में भी बंद समर्थकों ने बीजेपी और जेडीयू कार्यालय के सामने हंगामा किया। बंद समर्थकों का आरोप है कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार अगड़ी जाति के लोगों की उपेक्षा कर रही है। पिछले महीने केंद्र सरकार ने संसद में एससी-एसटी एक्ट संशोधन बिल पारित कराकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया था और कानून के पुराने प्रावधानों को बहाल करा दिया था।

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